Alfa Kidney Care
Alfa Kidney Care Alfa Kidney Care

Akhbar Nagar, Ahmedabad, Gujarat 380081, India

Mon – Sat : - 10:30 PM - 7:00 PM

Sun : - Closed

Alfa Kidney Care Alfa Kidney Care
  • Home
  • About Us
  • Dr. Ravi Bhadania
  • Services
    • Chronic Kidney Disease Treatment
    • Kidney Biopsy
    • Dialysis & Care
    • Kidney Friendly Diet
    • Kidney Stones
    • Urinary Tract Infection
    • Kidney Transplantation
    • Immunosuppressive Therapy
    • Know Your Kidney
    • Optimized Management
    • Counselling Regarding
    • Precise Diagnosis and Treatment
  • Procedure
  • Media Gallery
  • Our Blogs
  • Contact Us
  • Make an Appointment
Make an Appointment

Blog

  1. Alfa Kidney Care
  2. Blogs
  3. क्रोनिक किडनी फेल्योर के लक्षण और निदान
chronic kidney failure

क्रोनिक किडनी फेल्योर के लक्षण और निदान

January 2, 2024 by Dr. Ravi Bhadania

किडनी के रोगों में क्रोनिक किडनी फेल्योर (क्रोनिक किडनी डिसीज CKD) एक गंभीर रोग हैं, क्योंकि वर्तनान चिकित्साविज्ञान में इस रोग को खत्म करने की कोई दवा उपलब्ध नहीं है। पिछले कई सालों से इस रोग के मरीजों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, पथरी इत्यादि रोगों की बढ़ती संख्या इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं।

क्रोनिक किडनी फेल्योर क्या है?

इस प्रकार के किडनी फेल्योर में किडनी खराब होने की प्रक्रिया बहुत धीमी होती है, जो महीनों या सालों तक चलती है। लम्बे समय के बाद मरीजों की दोनों किडनी सिकुड़कर एकदम छोटी हो जाती है और काम करना बंद कर देती है, जिसे किसी भी दवा, ऑपरेशन अथवा डायलिसिस से ठीक नहीं किया जा सकता है। लम्बे समय के बाद नरीजों की दोनों किडनी सिकुड़कर एकदम छोटी हो जाती है और काम करना बंद कर देती है, जिसे किसी भी दवा, ऑपरेशन अथवा डायालिसिस से ठीक नहीं किया जा सकता है। सी. के. डी. को पहले क्रोनिक रीनल फेल्योर कहते थे, परन्तु फेल्योर शब्द एक गलत धारण देता है। सी. के. डी. की प्रारंभिक अवस्था में किडनी द्वारा कुछ हद तक कार्य संपादित होता है और अंतिम अवस्था में ही किडनी पूर्ण रूप से कार्य करना बंद कर देती है। क्रोनिक किडनी फेल्योर के मरीज का प्राथमिक चरण में उपचार उचित दवा देकर तथा खाने में परहेज से किया जा सकता है।

एन्ड स्टेज किडनी (रीनल डिसीज (ESKD or ESRD) क्या है?

क्रोनिक किडनी फेल्योर के मरीज में दोनों किडनी धीरे-धीरे खराब होने लगती है। जब दोनों किडनी 90 प्रतिशत से ज्यादा खराब हो जाती है अथवा पूरी तरह से काम करना बंद कर देती है, तब उसे एण्ड स्टेज रीनल डिसीज कहते हैं या संपूर्ण किडनी फेल्योर कहा जाता है। इस अवस्था में सही दवा और परहेज के बावजूद मरीज की तबियत बिगड़ती जाती है और उसे बचाने के लिए हमेशा नियमित रूप से डायलिसिस कराने की अथवा किडनी प्रत्यारोपण कराने की जरूरत पड़ती है।

क्रोनिक किडनी फेल्योर के मुख्य कारण क्या है?

किडनी को स्थायी नुकसान पहुँचाने के कई कारण हो सकते हैं पर मधुमेह और उच्च रक्तचाप इसके दो प्रमुख कारण हैं। सी. के. डी. के दो तिहाई मरीज इन दो बिमारियों से ग्रस्त होते हैं।

प्रत्येक तरह के उपचार के बावजूद भी दोनों किडनी ठीक न हो सके, इस प्रकार से किडनी फेल्योर के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

  • डायबिटीज आपको यह जानकर दुःख होगा कि क्रोनिक किडनी फेल्योर में 30 से 40 प्रतिशत मरीज या औसतन हर तीन मरीज में से एक मरीज की किडनी डायबिटीज के कारण खराब होती है। डायबिटीज, क्रोनिक किडनी फेल्योर का सबसे महत्वपूर्ण एवं गंभीर कारण है । इसलिये डायबिटीज के प्रत्येक मरीज का इस रोग पर पूरी तरह नियंत्रण रखना अत्यंत आवश्यक है ।
  • उच्च रक्तचाप लम्बे समय तक खून का दबाव यदि ऊँचा बना रहे, तो यह ऊँचा दबाव क्रोनिक किडनी फेल्योर का कारण हो सकता है।
  • क्रोनिक ग्लोनेरुलोनेफ्राइटिसः इस प्रकार के किडनी के रोग में चेहरे तथा हाथों में सूजन आ जाती है और दोनों किडनी धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती है।
  • वंशानुगत रोग: पोलिसिस्टिक किडनी डिसीज इस बीमारी में दोनों किडनी में छोटे-छोटे कई बुलबुले बन जाते हैं। यह एक आम वंशानुगत बीमारी है और यह बीमारी सी. के. डी. का एक प्रमुख कारण भी है।
  • पथरी की बीमारी किडनी और नूत्रमार्ग में दोनों तरफ पथरी से अवरोध के उचित समय के अंदर उपचार में लापरवाही ।
  • लम्बे समय तक ली गई दवाइयों (जैसे दर्दशानक दवाएं भस्म आदि) का किडनी पर हानिकारक असर।
  • बच्चों में किडनी और मूत्रमार्ग में बार-बार संक्रमण होना। बच्चों में जन्मजात क्षति या रूकावट (Vesico Ureteric Reflux, Posterior Urethral valve) इत्यादि ।

क्रोनिक किडनी डिजीज (सी. के. डी.) के क्या लक्षण होते हैं?

 क्रोनिक किडनी डिजीज के लक्षण किडनी की क्षति की गंभीरता के आधार पर बदलते है। सी. के. डी. को पाँच चरणों में विभाजित किया गया है। किडनी की कार्यक्षमता के दर या eGFR के स्तर पर यह विभाजन आधारित होते है। EGFR का अनुमान रक्त में क्रीएटिनिन की मात्रा से पता लगाते हैं। सामान्यतः eGFR 90ml/min से ज्यादा होता है।

  • सी. के. डी. का पहला चरण – क्रोनिक किडनी डिजीज के पहले चरण में किडनी की कार्यक्षमता 90 100% होती है। इस स्थिति में EGFR 90 नि.लि./मिनिट से ज्यादा रहता है। इस अवस्था में नरीजों में कोई लक्षण दिखने शुरू नहीं होते हैं पेशाब में असामान्यताएँ हो सकती है जैसे पेशाब में प्रोटीन जाना। एक्स रे एम. आर. आई. सी. टी. स्कैन या सोनोग्राफी से किडनी में खराबी दिखाई पड सकती है या सी. के. डी. नामक बीमारी का पता लग जाता है।
  • सी. के. डी. का दूसरा चरण – इसमें EGFR 60 से 89 मि. लि. / मिनिट होता है। इन मरीजों में किसी भी प्रकार का कोई लक्षण नहीं पाया जाता है। किन्तु कुछ मरीज रात में बार-बार पेशाब जाना या उच्च रक्तचाप होना आदि शिकायतें कर सकते हैं। इनकी पेशाब जाँच में कुछ असामान्यताएं एवं रक्त जाँच में सीएन क्रीएटिनिन की थोड़ी बढी मात्रा हो सकती हैं।
  • सी. के. डी. का तीसरा चरण – इसमें EGFR 30 तो 59 मि. लि. / मिनिट होता है। मरीज अक्सर बिना किसी लक्षण के या हल्के लक्षणों के साथ उपस्थित हो सकते हैं। इनकी पेशाब जाँच में कुछ असामान्यताएं एवं रक्त जाँच में सीरम क्रीएटिनिन की मात्रा थोड़ी बड़ी हो सकती है।
  • सी. के. डी. का चौथा चरण – क्रोनिक किडनी डिजीज की चौथी अवस्था में EGFR में अर्थात किडनी की कार्यक्षमता में 15-29 मि.लि. / मिनिट तक की कमी आ सकती है। अब लक्षण हल्के, अस्पष्ट और अनिश्चित हो सकते हैं या बहुत तीव्र भी हो सकते हैं। यह किडनी की विकलता और उससे जुड़ी बीमारी के मूल कारणों पर निर्भर करता है।
  • सी. के. डी. का पाँचवा चरण (किडनी की 15% से कम कार्यक्षमता ) – सी. के. डी. की पाँचवी अवस्था बहुत गंभीर होती है। इससे EGFR अर्थात किडनी की कार्यक्षमता में 15% से कम हो सकती है। इसे किडनी डिजीज की अंतिम अवस्था भी कहते हैं। ऐसी अवस्था में मरीज को डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता हो सकती हैं मरीज में लक्षण स्पष्ट या तीव्र हो सकते हैं और उनके । जीवन के लिए खत्तरा और जटिलताएं बड़ सकती है।

एण्ड स्टेज किडनी फेल्योर के सामान्य लक्षण

प्रत्येक मरीज में किडनी खराब होने के लक्षण और उसकी गंभीरता अलग-अलग होती हैं। रोग की इस अवस्था में पाये जाने वाले लक्षण इस प्रकार है :

  • खाने में अरूचि होना, उल्टी, उबकाई आना ।
  • कमजोरी महसूस होना, वजन कम हो जाना ।
  • पैरों के निचले हिस्से में सूजन आना
  • प्रायः सुबह के समय आँखों के चारों तरफ और चेहरे पर सूजन आना
  • थोड़ा काम करने पर थकावट महसूस होना, साँस फूलना
  • खून में फीकापन रक्तअल्पता (एनीमिया) होना। किडनी में बनने वाला एरीथ्रोपोएटीन नामक हार्मोन में कमी होने से शरीर में खून कम बना है।
  • शरीर में खुजली होना।
  • पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना ।
  • विशेष रूप से रात के समय बार-बार पेशाब जाना (nocturia) |
  • याद्दाश्त में कमी होना, नींद के नियमित क्रम में परिवर्तन होना।
  • दवा लेने के बाद भी उच्च रक्तचाप का नियंत्रण में नहीं आना ।
  • स्त्रियों में मासिक में अनियमितता और पुरुषों में नपुंसकता का होना।
  • किडनी में बनने वाला सक्रिय विटामिन ‘डी’ का कम बनना, जिससे बच्चों की ऊँचाई कम बढ़ती है और वयस्कों में हड्डियों में दर्द रहता है ।

उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्ति में सी. के. डी. होने की संभावना कब होती है?

किसी व्यक्ति में उच्च रक्तचाप है तो सी. के. डी. की संभावनाएँ हो सकती हैं यदि

  • 30 से कम या 50 से अधिक उम्र में उच्च रक्तचाप होने का पता चले ।
  • निदान के समय में गंभीर उच्च रक्तचाप (200/120mm of Hg) हो
  • नियमित रूप से उपचार के बावजूद अनियंत्रण उच्च रक्तचाप हो ।
  • दृष्टि में खराबी होना ।
  • पेशाब में प्रोटीन जाना।
  • उन लक्षणों की उपस्थिति होना जो सी. के. डी. की संभावनाएं दर्शाता है जैसे शरीर में सूजन का होना, भूख की कमी, कमजोरी लगना आदि ।

अंतिम चरण के सी. के. डी. की क्या जटिलताएँ होती है?

  • सांस लेने में अत्यधिक तकलीफ और फेफड़ों में पानी भर जाने के कारण सीने में दर्द होना ( पलमनरी एडिमा ) ।
  • गंभीर उच्च रक्तचाप होना ।
  • मतली और उलटी होना ।
  • अत्यधिक कमजोरी महसूस होना।
  • केन्द्रीय तंत्रिका में जटिलता उत्पन्न होना जैसे, झटका आना, बहुत नींद आना, ऐंठन होना और कोमा में चले जाना आदि।
  • रक्त में अधिक नात्रा ने वोटैशियम बढ़ जाना (हाइपरकेलिमिया) । यह हृदय के कार्य करने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है और यह जीवन के लिए खतरनाक भी हो सकता है।
  • पैरीकाडाइटिस (Pericardtis) होना थैली की तरह की झिल्ली जो हृदय के चारों तरफ रहती है उसमें सूजन आना या पानी भर जाना यह हृदय के कार्य को बाधित करती है एवं छाती में अत्यधिक दर्द हो सकता है।

किडनी डिजीज के निदान

प्रारंभिक अवस्था में सी. के. डी. में किसी भी प्रकार के लक्षण नहीं दिखते हैं। प्रायः सी. के. डी. का पता तब चलता है जब उच्च रक्तचाप की जाँच होती है, खून की जाँच ने सीरम क्रीएटिनिन की बड़ी मात्रा या पेशाब परीक्षण में एल्बुमिन का होना पाया जाता है। हर उस व्यक्ति की, सी. के. डी. के लिए जाँच होनी चाहिए जिनकी किडनी के क्षतिग्रस्त होने की संभावनाएं अधिक हो मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अधिक उम्र, परिवार के अन्य सदस्यों में सी. के. डी. का होना आदि में) ।

किसी भी मरीज की तकलीफ को देखकर या मरीज की जाँच के दौरान किडनी फेल्योर होने की शंका हो, तो निम्नलिखित जाँचों द्वारा निदान किया जा सकता है:

  • खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा – यह मात्रा क्रोनिक किडनी फेल्योर के मरीजों में कम होती है। किडनी के द्वारा एरिथ्रोपोएटिन नामक हार्मोन के उत्पादन में कमी की वजह रक्ताल्पता या एनीमिया होता है।
  • पेशाब की जाँच – यदि पेशाब में प्रोटीन जाता हो तो यह क्रोनिक किडनी फेल्योर की प्रथम भयसूचक निशानी हो सकती है। यह भी सत्य है कि पेशाब में प्रोटीन का जाना, किडनी फेल्योर के अलावा अन्य कारणों से भी होता है इससे यह नहीं मान लेना चाहिये कि पेशाब में प्रोटीन का जाना क्रोनिक किडनी फेल्योर का मामला है। पेशाब के संक्रमण का निदान भी इस जांच द्वारा हो सकता है।
  • खून में क्रिएटिनिन और यूरिया की जाँच – क्रोनिक किडनी फेल्योर के निदान और उपचार के नियंत्रण के लिए यह सबसे महत्वूपर्ण जाँच है किडनी के ज्यादा खराब होने के साथ-साथ खून में क्रिएटिनिन और यूरिया की मात्रा भी बढ़ती जाती है किडनी फेल्योर के मरीजों ने नियनित अवधि में यह जाँच करते रहने से यह जानकारी प्राप्त होती है कि किडनी कितनी खराब हुई है तथा उपचार से उसमें कितना सुधार आया है। उम्र और लिंग के साथ सीरम क्रीएटिनिन की मात्रा को जाँच कर किडनी की EGFR अर्थात उसकी कार्यक्षमता का अनुमान लगाने में प्रयोग किया जाता है। eGFR के आधार पर सी. के. डी. को पाँच अवस्थाओं में विभाजित किया गया है। यह विभाजन अतिरिक्त परीक्षणों और उचित उपचार के सुझावों के लिए उपयोगी होता है।
  • किडनी की सोनोग्राफी – किडनी के डॉक्टरों की तीसरी आँख कही जानेवाली यह जाँच किडनी किस कारण से खराब हुई है, इसके निदान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। अधिकांश क्रोनिक किडनी फेल्योर के रोगियों में किडनी का आकार छोटा एवं संकुचित हो जाता है। एक्यूट किडनी फेल्योर, डायबिटीज, एमाइलोडोसिस ऐसे रोगों के कारण किडनी जब खराब होती है, तो किडनी के आकार में वृद्धि दिखाई देती है। पथरी मूत्रमार्ग में अवरोध और पोलिसिस्टिक किडनी डिसीज जैसे किडनी फेल्योर के कारण का सही निदान भी सोनोग्राफी द्वारा हो सकता है।
  • खून की अन्य जाँच – सी. के. डी. के कारण किडनी के विभिन्न कार्यों में गड़बड़ी उत्पन्न होती है। इन गड़बड़ियों का मूल्यांकन करने के लिए विभिन्न परीक्षण किये जाते हैं जैसे इलेक्ट्रोलाइट और एसिड बेस संतुलन का – परीक्षण (सोडियम, पोटेशियम, मेगनिशियम बाइकार्बोनेट) रक्ताल्पता का परीक्षण (हिमेटोक्रीट, फेरीटिन, ट्रांस्फेरिन सेचुरेशन, पेरिफेरल स्मियर), हड्डी रोग के लिए परीक्षण (कैल्शियन, फॉतकोस, अलक्लाइन फोस्फेट्स, पैराथाइरॉइड होरमोन) दूसरे अन्य सामान्य परीक्षण (सीरम एल्बुमिन, कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स, रक्त में ग्लूकोज की मात्रा, हीमोग्लोबिन, ई. सी. जी. और इकोकार्डियोग्राफी) आदि है ।

सी. के. डी. के रोगी को कब डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए?

  • बिना कारण वजन बढ़ना, पेशाब की मात्रा में उल्लेखनीय कमी, सूजन में वृध्दि बिस्तर में लेटने पर सांस लेने में तकलीफ या सांस की कमी होना ।
  • सीने में दर्द, बहुत धीमी या तेज दिल की धड़कन होना ।
  • बुखार, गंभीर दस्त, भूख में काफी कमी, गंभीर उलटी, उलटी खून, अकारण वजन घटना आदि ।
  • मांसपेशियों में गंभीर कमजोरी होना।
  • भ्रम, उनींदापन या शरीर में बेहोशी या ऐंठन होना ।
  • लाल रंग का पेशाब होना, अत्यधिक रक्तस्त्राव होना आदि ।
  • अच्छी तरह नियंत्रित उच्च रक्तचाप में गड़बड़ी होना ।
इस तरह के विषयों के बारे में अधिक जानने के लिए संपर्क करें: Alfa Kidney Care
Tags: kidney failure in hindikidney failure symptoms in hindikidney failure treatment in hindi
  • Share
  • Tweet
  • Linkedin

Post navigation

Previous
Previous post:

What do different colors of urine color charts indicate?

Next
Next post:

किडनी प्रत्यारोपण के ऑपरेशन और उससे बाद की योग्य आवश्यक जानकारी

Related Posts
न्यूनतम परिवर्तन रोग (एमसीडी) उपचार और सूचना
न्यूनतम परिवर्तन रोग (एमसीडी) उपचार और सूचना
July 17, 2023 by Dr. Ravi Bhadania

मिनिमल चेंज डिजीज एक प्रकार का किडनी रोग है जो आपकी किडनी में ग्लोमेरुली नामक छोटे फिल्टर को प्रभावित करता...

ડાયાલિસિસ ઍક્સેસ માટે આર્ટેરિયોવેનસ ફિસ્ટુલા નિર્માણ
ડાયાલિસિસ ઍક્સેસ માટે આર્ટેરિયોવેનસ ફિસ્ટુલા નિર્માણ
June 1, 2023 by Dr. Ravi Bhadania

જોવા માં આવેલા ક્રોનિક ગુર્દાની રોગીઓ (CKD) માટે જેને ડાયલિસિસ ઉપચારની જરૂર હોય, તેમને ઉપચાર માટે દીર્ઘકાલિક ઍક્સેસ બિંદુની જરૂર...

Leave a Comment Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Add Comment *

Name *

Email *

Website

Categories
  • Blogs (150)
  • Uncategorized (1)
Popular Posts
  • Difference between pyelonephritis and glomerulonephriti
    Difference between Pyelonephritis and Glomerulonephritis

    December 9, 2025

  • Renal Concretion Types and Treatment
    Renal Concretion Types and Treatment

    December 5, 2025

  • RIRS Surgery Procedure for Kidney Stones
    Understanding the RIRS Surgery Procedure for Kidney Stones

    November 27, 2025

Alfa Kidney care

Alfa Kidney Care is one of the leading kidney specialty and nephrology hospitals in Ahmedabad.

Our Location

707-710, Centrum Heights, Akhbarnagar Circle, Nava Vadaj, Ahmedabad, Gujarat 380013, India

E: rpbhadania@gmail.com

+91 94849 93617

Opening Hours

Mon - Sat - 10:30 PM - 7:00 PM

Sun - Closed

Emergency Cases
+91 94849 93617

© 2023 Alfa Kidney Care. All Rights Reserved