Alfa Kidney Care
Alfa Kidney Care Alfa Kidney Care

Akhbar Nagar, Ahmedabad, Gujarat 380081, India

Mon – Sat : - 10:30 PM - 7:00 PM

Sun : - Closed

Alfa Kidney Care Alfa Kidney Care
  • Home
  • About Us
  • Dr. Ravi Bhadania
  • Services
    • Chronic Kidney Disease Treatment
    • Kidney Biopsy
    • Dialysis & Care
    • Kidney Friendly Diet
    • Kidney Stones
    • Urinary Tract Infection
    • Kidney Transplantation
    • Immunosuppressive Therapy
    • Know Your Kidney
    • Optimized Management
    • Counselling Regarding
    • Precise Diagnosis and Treatment
  • Procedure
  • Media Gallery
  • Our Blogs
  • Contact Us
  • Make an Appointment
Make an Appointment

Blog

  1. Alfa Kidney Care
  2. Blogs
  3. पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज: एक वंशानुगत रोग
पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज

पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज: एक वंशानुगत रोग

February 19, 2024 by Dr. Ravi Bhadania

वंशानुगत किडनी रोगों में पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज (पी. के. डी.) सबसे ज्यादा पाया जानेवाला रोग है। इस रोग में मुख्य असर किडनी पर होता है। दोनों किडनियों में बड़ी संख्या में सिस्ट (पानी भरा बुलबुला ) जैसी रचना बन जाती हैं। क्रोनिक किडनी फेल्योर के मुख्य कारणों में एक कारण पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज भी होता है। किडनी के अलावा कई मरीजों में ऐसी सिस्ट लीवर, तिल्ली, आँतों और दिमाग की नली में भी दिखाई देती है।

पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज का फैलाव

पी. के. डी. स्त्री पुरुष और अलग-अलग जाति और देशों में एक जैसा होता है। 1000 लोगों में से एक व्यक्ति में यह रोग दिखाई देता है। किडनी रोग के मरीज जिन्हें डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है, उनमे से 5% रोगियों में पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज (PKD) नामक बीमारी पाई जाती है।

पोलिसिस्टिक किडनी डिसीज रोग किसको हो सकता है?

वयस्कों (Adult) में होने वाला पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज रोग ऑटोजोमल डोमिनेन्ट प्रकार का वंशानुगत रोग है, जिसमें मरीज के 50 प्रतिशत यानी कुल संतानों में से आधी संतानों को यह रोग होने की संभावना रहती है।

पी. के. डी. के मरीजों के परिवार से कौन-कौन से सदस्यों की जाँच की जानी चाहिए?

पी. के. डी. के मरीज के भाई, बहन और बच्चों की जाँच पी. के. डी. के लिए करनी चाहिए। इसके अलावा उसके माता- पिता के भाई बहन जिनके यह बीमारी नरीज को विरासत में मिली हैं, उनकी भी जाँच करवानी चाहिए।

पी. के. डी. रोग को फैलने से क्यों नहीं रोगा जा सकता है?

साधारणतः जब पी. के. डी. का निदान होता है, उस समय मरीज की उम्र 35 से 55 साल के आसपास होती है। ज्यादातर पी. के. डी. के मरीजों में इस उम्र में आने से पूर्व बच्चों का जन्म हो चुका होता है। इस कारण से पी. के. डी. कोटको पीढ़ी में होने से रोका जाना असंभव है।

पी. के. डी. का किडनी पर क्या असर होता है?

  • .पी. के. डी. में दोनों किडनी में गुब्बारे या बुलबुले जैसे असंख्य सिस्ट पाये जाते हैं।
  • विविध आकार के असंख्य सिस्ट में से छोटे सिस्ट का आकार इतना छोटा होता है कि सिस्ट को नंगी आँखों से देखना संभव नहीं होता है और बड़े सिस्ट का आकार दस से.मी. से अधिक व्यास का भी हो सकता है।
  • .समयानुसार इन छोटे बड़े सिस्टों का आकार बढ़ने लगता है, जिससे किडनी का आकार भी बढ़ता जाता है।
  • इस प्रकार बढ़ते हुए सिस्ट के कारण किडनी के कार्य करने वाले भागों पर दबाव आता है, जिसकी वजह से उच्च रक्तचाप हो जाता है और किडनी की कार्यशनता क्रमशः कम हो जाती है।
  • इस बीमारी में कई सालों बाद क्रोनिक किडनी फेल्योर हो जाता है और मरीज गंभीर किडनी की खराबी (एंड स्टेज किडनी की बीमारी) की ओर अग्रसर हो जाता है। अंत में डायलिसिस ओर किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है।

पी. के. डी. के लक्षण क्या है?

सामान्यतः 30 से 40 साल की उम्र तक के मरीजों में कोई लक्षण देखने को नहीं मिलता है। उसके बाद देखे जानेवाले लक्षण इस प्रकार के होते हैं:

  • खून के दबाव में वृद्धि होना ।
  • पेट में दर्द होना, पेट में गाँठ का होना, पेट का बढ़ना ।
  • पेशाब में खून का जाना ।
  • पेशाब में बार-बार संक्रमण होना
  • किडनी में पथरी होना।
  • रोग के बढ़ने के साथ ही क्रोनिक किडनी फेल्योर के लक्षण भी दिखाई देने लगते हैं।
  • किडनी का कैन्सर होने की संभावना में वृद्धि
  • शरीर के अन्य भाग जैसे मस्तिष्क, लिवर, आंत आदि में भी किडनी की तरह सिस्ट हो सकते हैं। इस कारण उन अंगों में भी लक्षण दिखाई सकते हैं। पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज के रोगी को एन्यूरिज्म (नस्तिष्क धमनी विस्कार), पेट की दीवार में हर्निया, जिगर के सिस्ट में संक्रमण, पेट में डाइवर्टीक्यूले या छेद ओर हृदय वाल्व में खराबी जैसी जटिलतायें हो सकती है।

पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज के लगभग 10% मरीजों में धमनी विस्फार (एन्यूरिज्म) हो सकता है जिसने रक्त वाहिका की दीवार के कमजोर होने के कारण उसमें एक उभार आ जाता है। धमनी विस्फार के कारण सिरदर्द हो सकता है। इसका फटना खतरनाक हो सकता है जिससे स्ट्रोक एवं मृत्यु हो सकती है।

क्या पी. के. डी. के सभी मरीजों की किडनी फेल हो जाती है?

नहीं, पी. के. डी. के सभी मरीजों की किडनी खराब नहीं होती है। पी. के. डी. के मरीजों में किडनी फेल्योर होने की संख्या 60 साल की आयु में 50 प्रतिशत और 70 साल की आयु में 60 प्रतिशत होती है। पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज (PKD) के मरीजों में क्रोनिक किडनी फेल्योर होने का खतरा पुरुष वर्ग में कम उम्र में उच्च रक्तचाप, पेशाब में प्रोटीन या खून जाना या बड़े आकर की किडनी वाले लोगों में ज्यादा होता है।

पी. के. डी. का निदान किस प्रकार होता है?

  • किडनी की सोनोग्राफी : सोनोग्राफी की मदद से पी. के. डी. का निदान आसानी से कम खर्च में हो जाता है।
  • सी. टी. स्कैन : प्रारंभिक अवस्था में पी. के. डी. का शीघ्र निदान सी. टी. स्कैन द्वारा हो सकता है।
  • पारिवारिक इतिहास : सदस्यों में पी. के. डी. होने की संभावना रहती है। यदि परिवार के किसी सदस्य में पी. के. डी. हो तो परिवार के अन्य
  • पेशाब एवं खून की जाँच
    • पेशाब की जाँच: पेशाब में संकरण और खून की मात्रा जानने के लिए ।
    • खून की जाँच : खून में यूरिया, क्रिएटिनिन की मात्रा से किडनी की कार्यक्षमता के बारे में पता लगता है।
  • जेनेटिक्स की जाँच : शरीर की संरचना जीन अर्थात गुणसूत्रों (Chromosomes ) के द्वारा निर्धारित होती है। कुछ गुणसूत्रों की कमी की वजह से पी. के. डी. हों जाता है। भविष्यमें इन गुणसूत्रों की उपस्थिति का निदान विशेष प्रकार की जाँचों से हो सकेगा, जिससे कम उम्र के व्यक्ति में भी पी. के. डी. रोग होने की संभावना है या नहीं यह जाना जा सकेगा।

पी. के. डी. के कारण होनेवाले किडनी फैल्योर की समस्या को किस प्रकार कम किया जा सकता है?

पी. के. डी. एक वंशानुगत रोग है, जिसे मिटाने या रोकने के लिए इस समय में कोई भी उपचार उपलब्ध नहीं है। पी. के. डी. वंशानुगत रोग है अगर परिवार के किसी एक सदस्य में पी. के. डी. हो तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार सोनोग्राफी की जाँच से यह जान लेना जरूरी है कि अन्य सदस्यों को यह रोग तो नहीं है।

पी. के. डी. असाध्य है। फिर भी इस रोग का उपचार कराना किसलिए जरूरी है?

उपचार के बाद भी यह रोग साध्य नहीं है। फिर भी इस रोग का उपचार कराना जरूरी है, क्योंकि जरूरी उपचार कराने से किडनी को होनेवाले नुकसान से बचाया जा सकता है और खराब होने की गति को सीमित रखा जा सकता है। पी. के. डी. के मरीज में अगर उच्च रक्तचाप का शीघ्र निदान ओर सही उपचार हो तो किडनी की खराबी होने को रोका या धीमा किया जा सकता है। पी. के. डी. का मरीज यदि अपनी जीवन शैली ओर आहार में संशोधन कर लेता है तो वह अपने हृदय और किडनी को सुरक्षा प्रदान करता है। स्क्रीनिंग का एक बड़ा नुकसान यह है की मरीज अपनी बीमारी के बारे में और उत्तेजित हो जाता है, वह भी ऐसे समय व्यक्ति में न तो कोई लक्षण दिखते हैं और न ही उसे किसी प्रकार के उपचार की आवश्यकता होती है।

मुख्य उपचार

  • पी. के. डी. के रोगियों को समय-समय पर जाँच और निगरानी की सलाह दी जाती है। भले ही उन्हें किसी भी प्रकार के इलाज की जरूरत न हो।
  • उच्च रक्तचाप को सदैव नियंत्रित रखना ।
  • मूत्रमार्ग में संक्रमण और पथरी की तकलीफ होते ही तुरंत उचित उपचार कराना ।
  • शरीर पर सूजन नहीं हो तो ऐसे मरीज को ज्यादा मात्रा में पानी पीना चाहिए, जिससे संक्रमण, पथरी आदि समस्या को कम करने में सहायता मिलती है।
  • पेट में होनेवाले दर्द का उपचार किडनी को नुकसान नहीं पहुँचाने वाली विशेष दवाओं द्वारा ही किया जाना चाहिए।
  • किडनी के खराब होने पर क्रोनिक किडनी फेल्योर का उपचार’ इस भाग में किए गए चर्चानुसार परहेज करना और उपचार लेना आवश्यक हैं।
  • बहुत कम रोगियों में दर्द, खून के बहाव, संक्रमण या किसी रुकावट की वजह से सिस्ट की शल्य चिकित्सा या रेडियोलॉजिकल ड्रेनेज की आवश्यकता होती है।

पी. के. डी. के मरीज को डॉक्टर का संपर्क तुरंतं कब करना चाहिए?

पी. के. डी. के मरीज को डॉक्टर से संपर्क तुरंत करना चाहिए अगर उसे

  • बुखार, अचानक पेट में दर्द या लाल रंग का पेशाब हो ।
  • गंभीर सिरदर्द हो या सिरदर्द बार-बार हो।
  • .किडनी पर आकस्मिक चोट, छाती में दर्द, भूख न लगना, उल्टी होना, मांसपेशियों में गंभीर कमजोरी, विभ्रान्ति, उनींदापन, बेहोशी या शरीर में ऐंठन हो ।

इस तरह के विषयों के बारे में अधिक जानने के लिए हमसे संपर्क करें: Alfa Kidney Care

Tags: polycystic kidney diseasepolycystic kidney disease in hindiपोलिसिस्टिक किडनी डिजीज
  • Share
  • Tweet
  • Linkedin

Post navigation

Previous
Previous post:

पथरी क्या है? कारण, लक्षण, उपचार

Next
Next post:

बच्चों में किडनी और मूत्रमार्ग का संक्रमण

Related Posts
મલ્ટિસિસ્ટિક ડિસ્પ્લાસ્ટિક કિડની (MCDK): કારણો, લક્ષણો, સારવાર (Multicystic Dysplastic Kidney in Gujarati)
મલ્ટિસિસ્ટિક ડિસ્પ્લાસ્ટિક કિડની (MCDK): કારણો, લક્ષણો, સારવાર (Multicystic Dysplastic Kidney in Gujarati)
April 24, 2025 by Dr. Ravi Bhadania

અમારી કિડનીઓ અમારા આરોગ્યમાં મહત્વપૂર્ણ ભૂમિકા ભજવે છે. પરંતુ કેટલીકવાર, વિકાસ દરમ્યાન વસ્તુઓ થોડી બેદરકારીથી ચાલે છે, અને ત્યાં મલ્ટિસિસ્ટિક...

<strong>Pros and Cons of Renal Transplant</strong>
Pros and Cons of Renal Transplant
February 20, 2023 by Dr. Ravi Bhadania

Kidney transplants are one of the most common transplant surgeries done globally. In India alone, around 10,000 kidney transplants are...

Leave a Comment Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Add Comment *

Name *

Email *

Website

Categories
  • Blogs (150)
  • Uncategorized (1)
Popular Posts
  • Difference between pyelonephritis and glomerulonephriti
    Difference between Pyelonephritis and Glomerulonephritis

    December 9, 2025

  • Renal Concretion Types and Treatment
    Renal Concretion Types and Treatment

    December 5, 2025

  • RIRS Surgery Procedure for Kidney Stones
    Understanding the RIRS Surgery Procedure for Kidney Stones

    November 27, 2025

Alfa Kidney care

Alfa Kidney Care is one of the leading kidney specialty and nephrology hospitals in Ahmedabad.

Our Location

707-710, Centrum Heights, Akhbarnagar Circle, Nava Vadaj, Ahmedabad, Gujarat 380013, India

E: rpbhadania@gmail.com

+91 94849 93617

Opening Hours

Mon - Sat - 10:30 PM - 7:00 PM

Sun - Closed

Emergency Cases
+91 94849 93617

© 2023 Alfa Kidney Care. All Rights Reserved