एक्यूट किडनी फेल्योर क्या है?
संपूर्ण रूप से कार्य करने वाली दोनों किडनी किसी कारणवश अचानक नुकसान से थोड़े समय कि लिए काम करना कम या बंद कर दे, तो उसे हम एक्यूट किडनी फेल्योर कहते हैं। एक्यूट किडनी फेल्योर को एक्यूट किडनी इंजुरी भी कहते है
एक्यूट किडनी फेल्योर होने के क्या कारण हैं?
एक्यूट किडनी फेल्योर होने के मुख्य कारण निम्नलिखित है:
- बहुत ज्यादा दत्त और उल्टी होने के कारण शरीर में पानी की मात्रा में कमी एवं खून के दबाव का कम होना।
- गंभीर संक्रमण, गंभीर बीमारी या एक बड़ी शल्य चिकित्सा के बाद |
- पथरी के कारण मूत्रमार्ग में अवरोध होना।
- 4. G6PD Deficiency का होना। इस रोग में खून के रक्तकण कई दवाओं के प्रयोग से टूटने लगते हैं, जिससे किडनी उचानक फेल हो सकती है।
इसके अलावा फेल्सीफेरम मलेरिया और लैप्टोस्पाइरोसिस, खून में गंभीर संक्रमण, किडनी में गंभीर संक्रमण, किडनी में विशेष प्रकार की सूजन, स्त्रियों में प्रसव के समय खून के अत्यधिक दबाव का होना या ज्यादा खून का बह जाना, दवा का विपरीत असर होना, साँप का डसना, स्नायु पर अधिक दबाव से उत्पन्न जहरीले पदार्थों का किडनी पर गंभीर असर होना इत्यादि एक्यूट किडनी फेल्योर के कारण हैं।
एक्यूट किडनी फेल्योर के लक्षण
एक्यूट किडनी फेल्योर में किडनी की कार्यक्षमता में अचानक रुकावट होने से अपशिष्ट उत्पादकों का शरीर में तेजी से संचय होता है एवं पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स के संतुलन में गड़बड़ी हो जाती है। इन कारणों से रोगी में किडनी की खराबी के लक्षण तेजी से विकसित होते है।
ये लक्षण अलग-अलग मरीजों में विभिन्न प्रकार के कम या ज्यादा मात्रा में हो सकते हैं।
- भूख कम लगना, जी मिचलाना, उल्टी होना, हिचकी आना।
- पेशाब कम होना या बंद हो जाना ।
- चेहरे पैर और शरीर में सूजन होना, साँस फूलना, ब्लडप्रेशर का बढ़ जाना ।
- दस्त-उलटी, अत्यधिक रख्तस्त्राव, खून की छनी तेज बुखार आदि किडनी फेल्योर के कारण भी हो सकते हैं।
- उच्च रक्तचाप से सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द शरीर में ऐंठन या झटके खून की उलटी और असामान्य दिल की धड़कन एवं कोमा जैसे गंभीर और जानलेवा लक्षण भी किडनी की विफलता के कारण बन सकता हैं।
- कुछ रोगियों में किडनी की विफलता के प्रारंभिक चरण में किसी भी प्रकार के लक्षण नहीं दिखाई पड़ते हैं। बीमारी का पता संयोग से चलता है जब अन्य कारणों के लिए रक्त परीक्षण किया जाता है ।
- कमजोरी महसूस होना, उनीदा होना, स्मरणशक्ति कम हो जाना, शरीर में ऐंठन होना इत्यादि ।
- खून की उल्टी होना और खून में पोटैशियम की मात्रा में वृद्धि होना ( जिसके कारण अचानक हृदय की गति बंद हो सकती हैं) ।
किडनी फेल्योर के लक्षणों के अलावा जिन कारणों से किडनी खराब हुई हो उस रोग के लक्षण भी मरीज में दिखाई देते हैं, जैसे जहरी मलेरिया में ठंड के साथ बुखार आना ।
एक्यूट किडनी फेल्योर का निदान
जब कोई रोग के कारण किडनी खराब होने का संदेह हो एवं मरीज में उत्पन्न लक्षणों की वजह से किडनी फेल्योर होने की आशंका हो, तब तुरन्त खून की जाँच करा लेनी चाहिये खून में क्रिएटिनिन और यूरिया की अधिक मात्रा किडनी फेल्योर का संकेत देती है। पेशाब तथा खून का परीक्षण, सोनोग्राफी वगैरह की जाँच से एक्यूट किडनी फेल्योर का निदान, इसके कारण का निदान और एक्यूट किडनी फेल्योर के कारण शरीर में अन्य विपरीत प्रभाव के बारे में जाना जा सकता है। इस रोग से पीड़ित मरीजों को रोग के शुरू में पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए।
- बाद में यदि पेशाब कम आ रहा हो तो डॉक्टर को इसकी तुरंत जानकारी देनी चाहिए। और पेशाब की मात्रा जितना ही पानी पीना चाहिए।
- कोई भी ऐसी दवा नहीं लेनी चाहिए, जिससे किडनी को नुकसान पहुँच सकता है (खास करके दर्दशामक दवाइयाँ) ।
एक्यूट किडनी फेल्योर का उपचार
इस रोग का उपचार रोग के कारण, लक्षणों की तीव्रतां और लेबोरेटरी परीक्षण को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग मरीजों में भिन्न भिन्न होता है इस रोग के गंभीर रूप में तुरंत उचित उपचार कराने से मरीज को जैसे पुर्नजन्म मिलता है, तो दूसरी तरफ उपचार न मिलने पर मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।
एक्यूट किडनी फेल्योर के मुख्य उपचार निम्नलिखित हैं:
- किडनी खराब होने के लिये जिम्मेदार रोग का उपचार
- खाने पीने में परहेज रखना
- दवा द्वारा उपचार
- डायलिसिस
एक्यूट किडनी फेल्योर के लिए जिम्मेदार रोग का उपचार
किडनी फेल्योर के मुख्य कारणों ने उल्टी, दस्त या फेल्सीफेरम मलेरिया हो सकता है, जिसे नियंत्रण में रखने के लिए त्वरित उपचार करना चाहिए। खून के संक्रमण पर नियंत्रण के लिए विशेष एंटिबायोटिक्स देकर उपचार किया जाता है। रक्तकण टूट गये हों, तो खून देना चाहिए।
- पथरी होने के कारण मूत्रमार्ग में अवरोध हो, तो दूरबीन द्वारा अथवा ऑपरेशन द्वारा उपचार करके इस अवरोध को दूर किया जाना चाहिए।
- तुरंत एवं उचित उपचार से खराब हुई किडनी को अधिक खराब होने से बचाया जा सकता है एवं किडनी फिर संपूर्ण रूप से काम कर सकती है।
खाने में परहेज
- किडनी के काम नहीं करने के कारण होने वाली तकलीफ या जटिलताओं (कम्प्लीकेशन) को कम करने के लिए आहार में परहेज करना जरूरी होता है।
- पेशाब की मात्रा को ध्यान में रखते हुए पानी एवं पेय पदार्थ को कम लेना चाहिए, जिससे सूजन और साँस फूलने की तकलीफ से बचा जा सके।
- खून में पोटैशियम की मात्रा न बढ़े इसके लिए फलों का रस, नारियल पानी सूखा नेवा इत्यादि नहीं लेना चाहिए। यदि खून में पोटैशियम की मात्रा बढ़ती है, तो यह हृदय पर जानलेवा प्रभाव डाल सकती है।
- नमक का परहेज सूजन, उच्च रक्तचाप, साँस की तकलीफ एवं ज्यादा प्यास लगने जैसी समस्याओं को नियंत्रण में रखता है।
दवाओं द्वारा उपचार
हमारा मुख्य लक्ष्य है किडनी को बचाना और किडनी को किसी भी प्रकार की जटिलता से मुक्त रखना ।
- संक्रमण का इलाज करना एवं ऐसी दवाओं का परहेज जो किडनी के लिए हानिकारक हो।
- पेशाब बढ़ाने की दवा : पेशाब कम आने के कारण शरीर में होने वाली सूजन, सॉस की तकलीफ इत्यादि समस्याओं को रोकने के लिए यह ददा अत्यधिक उपयोगी है।
- उल्टी एवं एसीडिटी की दवाइयों किडनी फेल्योर के कारण होने वाली उल्टियाँ जो निचलाना हिचकी आना इत्यादि को रोकने के लिए इन दवाओं का सेवन उपयोगी है।
- अन्य दवाइयाँ हो साँस फूलने, खून की उल्टी का होना, शरीर में ऐंठन जैसी गंभीर तकलीफों में राहत देती हैं।
डायलिसिस
याद रखें की डायलिसिस एक कृत्रिम प्रक्रिया है, जो क्षतिग्रस्त किडनी के कार्यों को पूर्ण करता है। किडनी काम नहीं करने के कारण शरीर में जमा होने वाले अनावश्यक पदार्थों, पानी, क्षार एवं अम्ल जैसे रसायनों को कृत्रिम विधि से दूर कर खून का शुद्धिकरण करने की प्रक्रिया को डायालिसिस कहते है।