केडेवर किडनी प्रत्यारोपण क्या है?
ब्रेन डेथ दिमागी मृत्यु (Brain Death) वाले व्यक्ति के शरीर से स्वस्थ – किडनी निकालकर किडनी फेल्योर के मरीज के शरीर में लगाये जाने वाले ऑपरेशन को केडेवर प्रत्यारोपण कहते हैं।
केडेवर किडनी प्रत्यारोपण क्यों जरूरी है?
किसी व्यक्ति की दोनों किडनी फेल हो जान पर उपचार के सिर्फ दो ही विकल्प हैं डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण |सफल किडनी प्रत्यारोपण से मरीज को कम परहेज कम पाबंदी के साथ आम व्यक्ति की तरह जीने की सहूलियत मिलती है। इससे किडनी फेल्योर के मरीजों को बेहतर जीवनशैली मिलती है। इसी कारण किडनी प्रत्यारोपण, डायलिसिस से ज्यादा अच्छा उपचार का विकल्प है। किडनी प्रत्यारोपण कराने के लिए इच्छुक सभी मरीजों को अपने परिवार से किडनी नहीं मिल जाती है। इसी कारण डायलिसिस कराने वाले मरीजों की संख्या बहुत बड़ी है। ऐसे मरीजों के लिए केडेवर किडनी प्रत्यारोपण ही एकमात्र आशा है। मुत्यु के पश्चात् शरीर के साथ किडनी भी नष्ट हो जाती है। अगर ऐसी किडनी के प्रत्यारोपण से क्रोनिक किडनी फेल्योर के किसी मरीज को नयी जिन्दगी मिल सकती है, तो इससे अच्छा क्या हो सकता है?
‘ब्रेन डेथ’ दिमागी मृत्यु (Brain Death) क्या है?
सरल भाषा में मृत्यु का मतलब हृदय, श्वास और दिमाग का हमेंशा के लिए बंद हो जाना है। ब्रेन डेथ यह डॉक्टरों द्वारा किया जानेवाला निदान है ‘ब्रेन डेथ के मरीज ने गंभीर नुकसान के कारण दिमाग संपूर्ण रूप से हमेशा के लिए कार्य करना बंद कर देता है। इस प्रकार के मरीजों में किसी भी प्रकार के इलाज से मरीज की बेहोशी की अवस्था में सुधार नहीं होता है, परन्तु वेन्टीलेटर और सघन उपचार की सहायता से साँस और हृदयगति चालू रहती है और खून पुरे शरीर में आवश्यक मात्रा में पहुँचता रहता है। इस प्रकार की मृत्यु को ‘ब्रेन डेथ’ (दिमागी मृत्यु ) कहा जाता है।
ब्रेन डेथ निदान के लिए मानदंड
जब पर्याप्त समय तक मरीज कोमा की अवस्था में हों, और कोमा का कारण (सिर में चोट, मस्तिष्क में रक्त स्त्राव आदि) प्रयोग शाला परीक्षण, नैदानिक परीक्षा न्यूरोइमेजिंग आदि द्वारा किया गया है। कुछ दवाओं (जैसे नींद एवं निरंगी को दवाएँ अवसाद दूर करने की दवाएँ नारकोटिक्स आदि) एवं नेटाबालिक और एंडोक्राइन कारणों से भी मस्तिष्क बेहोशी की हालत में जा सकता है। जिसमें ब्रेन डेथ जैसा दिखाई पड़ सकता है। ब्रेन डेथ के निदान की पुष्टि करने के पहले इस तरह के कारणों को अच्छी तरह परख लेना चाहिए । चिकित्सक को ब्रेन डेथ (दिमागी मृत्यु) के निष्कर्ष पर पहुँचने के पहले रक्तचाप में कमी, शरीर के दिमागी मृत्यु की पुष्टि हो जाती है यदि
- विशेषज्ञों की देखरेख में उचित उपचार के बावजूद लगातार एक पर्याप्त अवधि तक गहरे कोमा में रहना और स्वास्थ्य होने की संभावना का खत्म हो जाना।
- मरीज का वेन्टीलेटर पर रहना और अवभाविक साँस न ले पाना ।
- श्वसन, रक्तचाप और रक्त संचालन को वेन्टीलेटर और अन्य जीवन रक्षक उपकरणों के साथ ही लम्बी अवधि तक बनाए रखना ।
‘ब्रेन डेथ’ और बेहोश होने में क्या अंतर है?
बेहोश हुए मरीज का दिमाग सही उपचार से ठीक किया जा सकता है। इस प्रकार के रोगियों में सामान्य या सघन उपचार से हृदयगति और श्वसन चालू रहते हैं और दिमाग के अन्य कार्य यथावत रहते हैं । इस प्रकार के रोगी उचित उपचार से पुनः होश मे आ जाते हैं। जबकि ब्रेन डेथ में दिमाग को इस प्रकार का गंभीर नुकसान होता है, जिसे ठीक न किया जा सके। इस प्रकार रोगियों में वेन्टीलेटर के बंद करने के साथ ही साँस और हृदयगति रुक जाती है तथा मरीज की मृत्यु हो जाती है।
क्या कोई भी व्यक्ति मृत्यु के बाद किडनी दान कर सकता है?
नहीं मृत्यु के बाद चक्षुदान जैसे किडनी दान नहीं किया जा सकता है । हृदयगति बंद होते ही किडनी में खून पहुँचना बंद हो जाता है तथा किडनी काम करना बंद कर देती है। इसलिए सामान्य तौर पर मृत्यु के बाद किडनी का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
‘ब्रेन डेथ’ होने के मुख्य कारण क्या है?
आमतौर पर निम्नलिखित कारण से ब्रेन डेथ होता है:
- दुर्घटना में सिर में घातक चोट लगना ।
- खून का दबाव बढ़ने अथवा धमनी फट जाने से ब्रेन हेमरेज (दिमागी रक्तस्त्राव ) का होना ।
- दिमाग में खून पहुँचानेवाली नली में खून का जम जाना, जिससे दिमाग में खून का पहुँचना बंद होना (Brain Infarct)|
- दिमाग में कैंसर की गाँठ का होना, जिससे दिमाग को गंभीर नुकसान होता है।
‘ब्रेन डेथ’ का निदान कब, कौन और किस प्रकार से होता है?
जब पर्याप्त समय तक विशेषज्ञ डॉक्टर द्वारा सघन उपचार करने के बावजूद मरीज का दिमाग जरा भी कार्य न करे और पूर्णरूप से बेहोश मरीज का वेन्टीलेटर द्वारा उपचार चालू रहे, तो मरीज की ब्रेन डेथ होने की जाँच की जाती है। किडनी प्रत्यारोपण के डॉक्टर्स की टीम से पूर्णतः अलग डॉक्टरों की टीम द्वारा ब्रेन डेथ की पहचान की जाती है। इन डॉक्टरों की टीम में मरीज का उपचार करने वाले फिजिशियन, न्यूरोसर्जन इत्यादि होते है। जरूरी डॉक्टरी जाँच, बहुत से लेबोरेटरी जाँच की रिपोर्ट, दिमाग की खास जाँच ई. ई. जी. तथा अन्य जरूरी परीक्षण की मदद से मरीज के दिमाग की सुधार की प्रत्येक संभावना को परखा जाता है। सभी जरूरी जाँचों के बाद जब डॉक्टर इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि मरीज का दिमाग पुनः कार्य कभी भी नहीं कर सकेगा तब ही दिमागी मृत्यु की पहचान कर उसकी घोषणा कर दी जाती है।
केडेवर किडनी देनेवाले को कौन सी बीमारियाँ होने पर केडवर किडनी नहीं ली जा सकती है?
- यदि संभावित किडनी दाता के खून में संक्रमण का असर हो
- . कैन्सर की बीमारी हो (दिमाग के अलावा)।
- . किडनी कार्यरत नहीं हो अथवा काफी समय से किडनी कम काम नहीं कर रही हो, किडनी में कोई गंभीर बीमारी हो ।
- खून की रिपोर्ट में यदि एड्स अथा पीलिया (Jaundice) होने की पुष्टि हो।
- मरीज लम्बे समय से डायबिटीज या खून के अधिक दबाव का रोगी हो ।
- .उम्र 10 साल से कम या 70 साल से ज्यादा हो ।
केडेवरदाता किन-किन अंगों को दान में देकर अन्य मरीजों को मदद कर सकते है?
- केडेवर दाता की दोनों किडनी दान में ली जा सकती है, जिससे किडनी डिजीज को दो नरीजों को नया जीवन मिल सकता है।
- किडनी के अतिरिक्त केडेवर दाता द्वारा दान में अन्य अंग जैसे हृदय, लिवर, पैन्क्रियाज, आँखे इत्यादि भी दिये जा सकते हैं।
केडेवर किडनी प्रत्यारोपण के कार्य में किन-किन व्यक्तियों का समावेश होता है?
केडेवर किडनी प्रत्यारोपण की सफलता के लिए टीम वर्क की जरूरत पडती है जिसमें
- केडेवर किडनी दान में देने के लिए मंजूरी देनेवाला किडनी दाता के परिवारिक सदस्य,
- मरीजों का उपचार करनेवाले फिजिशियन,
- केडेवर प्रत्यारोपण के विषय में प्रेरणा और जानकारी देनेवाला प्रत्यारोपण समन्वयक (Transplantation Co-ordinator),
- ब्रेन डेथ का निदान करनेवाले न्यूरोलॉजिस्ट, किडनी प्रत्यारोपण करनेवाले नेफ्रोलॉजिस्ट और यूरोलॉजिस्ट इत्यादि लोग शामिल होते हैं।
केडेवर प्रत्यारोपण किस प्रकार से किया जाता है?
केडेवर प्रत्यारोपण करने के लिए महत्वपूर्ण जानकारियों इस प्रकार है :
- ब्रेन डेथ की उचित पहचान होना चाहिए ।
- किडनीदाता को लेबोरेटरी जाँच से पुष्टि कर लेनी चाहिए कि उसकी किडनी पूर्णतः स्वस्थ है।
- किडनीदान के लिए किडनीदाता के पारिवार के सदस्यों की मंजूरी लेनी चाहिए।
- किडनीदाता के शरीर से किडनी बाहर निकालने का ऑपरेशन समाप्त होने तक मरीज के हृदय एवं साँस को (वेन्टीलेटर और अन्य उपचारों की मदद से) चालू रख जाता है और खून को उचित मात्रा में रखा जाता है। के दबाव को उचित मात्रा में रखा जाता है।
- किडनी शरीर से बाहर निकालने के बाद उसे खास प्रकार के ठंडे द्रव से अंदर से साफ किया जाता है और किडनी को बर्फ में उचित तरीके से रखा जाता है।
- किडनीदाता का ब्लडग्रुप और टिस्यु टाइपिंग की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए यह तय करना जरूरी होता है कि कंडवर प्रत्यारोपण के इच्छुक किस मरीज के लिए यह खेडेवर किडनी अधिक उपयुक्त होगी।
- सभी प्रकार की जाँच तथा उचित तैयारी के बाद किडनी प्रत्यारोपण का ऑपरेशन जितना जल्दी हो सके उतना ही फायदेमंद होता है।
- ऑपरेशन द्वारा निकाली गई डेबर किडनी या पारिवारिक सदस्य से मिली किडनी दोनों स्थितियों में किडनी लगाने की प्रक्रिया एक समान होती है।
- एक दाता के शरीर में से दो किडनी मिलती है, जिससे एक साथ दो मरीजों को केडेवर किडनी प्रत्यारोपण किया जाता है।
- किडनी निकालने और प्रत्यारोपण के बीच की समय अवधि के दौरान दाता किडनी को आक्सीजन की कमी रक्त की आपूर्ति न होने और बर्फ के भंडारण में ठंड लगने से किडनी को कुछ क्षति हो सकती है। कई बार इस तरह की क्षति के कारण किडनी प्रत्यारोपण के तुरंत बाद काम करने में सक्षम नहीं हो पाती है। ऐसी परिस्थिति में अल्प समय के लिए डायलिसिस की सहायता लेनी पड़ सकती है। जब दाता किडनी पुनः स्वस्थ्य होकर अपना कार्य शुरू कर दे तब डायालिसिस बंद किया जा सकता है।
- इस प्रकार किडनी को हुए नुकसान के कारण केडेवर किडनी प्रत्यारोपण होने के बाद कई मरीजों में नई किडनी को कार्यरत होने में थोड़ा समय लगता है और ऐसी स्थिति में मरीज को डायलिसिस की आवश्यकता भी पड़ती है।
केडेवर किडनी का दान देनेवालों को क्या लाभ होता है?
केडेवर किडनीदाता को अथवा उसके पारिवारिक सदस्यों को किसी प्रकार की धनराशि नहीं मिलती है। इस प्रकार किडनी लेनेवाले मरीज को कोई कीमत नहीं चुकानी पढ़ती है परन्तु मृत्यु के बाद किडनी नष्ट हो जाए, इससे तो अच्छा जरूरतमंद मरीज को किडनी मिलने से नया जीवन मिले, जो अमूल्य है। इस दान से एक पीड़ित और दुःखी मरीज की मदद करने में संतोष और खुशी मिलती है, जिसकी कीमत किसी आर्थिक लाभ से कहीं अधिक है। इस प्रकार कोई व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद बिना कुछ गंवाये दूसरी मरीज को नया जीवन दे सकता है, इससे बड़ा लाभ क्या हो सकता है।
केडेवर किडनी प्रत्यारोपण की सुविधा कहाँ-कहाँ उपलब्ध हैं?
राज्य और केन्द्र सरकार द्वारा अनुमति दिए गए अस्पतालों में ही केडेवर किडनी प्रत्यारोपण की सुविधा हो सकती है भारत में कई बड़े शहरों जैसे – मुम्बई, चेन्नई, दिल्ली, अहमदाबाद, बैंगलोर, हैदराबाद इत्यादि में यह सुविधा उपलब्ध है।
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