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बच्चों में किडनी और मूत्रमार्ग का संक्रमण

बच्चों में किडनी और मूत्रमार्ग का संक्रमण

February 26, 2024 by Dr. Ravi Bhadania

मूत्रमार्ग का संक्रमण (यूरिनरी ट्रेक्ट इन्फेक्शन)

अल्पावधि और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं के कारणों में बच्चों में मूत्रमार्ग का संक्रमण एक आम समस्या है।

बड़ों की तुलना में बच्चों में यह प्रश्न क्यों अधिक महत्वपूर्ण है?

  • बच्चों में बार-बार बुखार आने का महत्वपूर्ण कारण किडनी और मूत्रमार्ग का संक्रमण हो सकता है।
  • कम उम्र के बच्चों में किडनी तथा मूत्रमार्ग के संक्रमण की देर से जानकारी मिलने अथवा अपूर्ण उपचार से किडनी को स्थायी नुकसान हो सकता है। कई बार किडनी पूर्णरूप से खराब हो जाने की संभावना भी रहती है।
  • इसी कारण बच्चों में पेशाब के संक्रमण का शीघ्र निदान और उचित उपचार कराने से किडनी को संभावित नुकसान से रोका जा सकता है।
  • इस बीमारी के पुनरावृत्ति होने का डर हमेशा बना रहता है ।

 इसी कारण बच्चों में पेशाब के संक्रमण का शीघ्र निदान और उचित उपचार कराने से किडनी को संभावित नुकसान से रोका जा सकता हैं।

बच्चों में पेशाब के संक्रमण की संभावना कब अधिक रहती है?

बच्चों में मूत्रमार्ग का संक्रमण अधिक होने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं :

  • लड़कियों में मूत्रनलिका की लम्बाई छोटी होना एवं मूत्रनलिका और मलद्वार पास-पास होने से मलमार्ग के जीवाणु मूत्रनलिका में आसानी से जा सकते हैं और संक्रमण हो सकता है।
  • मलत्याग (पाखाना) करने के बाद उसे साफ करने की क्रिया में पीछे से आगे की तरफ धोने की आदत।
  • जन्मजात क्षति के कारण मूत्राशय में से पेशाब का उल्टी तरफ मूत्रवाहिनी और किडनी की तरफ जाना (Vesico Ureteric Reflux)|
  • किडनी के अंदर की ओर मध्य हिस्सों से नीचे जानेवाले भाग को पेल्वीस कहते हैं। पेल्वीस और मूत्रवाहिनी को जोड़नेवाले भाग के सिकुड़ने से पेशाब के मार्ग में अवरोध का होना (Pelvi Ureteric Junction PUJ Obstruction)|
  • जिन लड़कों का खतना होता है उनमें मूत्रमार्ग का संक्रमण होने की संभावना कम होती है।
  • मूत्रनलिका में वाल्व (Posterior Urethral Valve) के कारण कम उम्र के बच्चों को पेशाब करने में तकलीफ होना।
  • मूत्रमार्ग में पथरी का होना।

पेशाब में संक्रमण के लक्षण

  • सामान्यतः चार-पाँच साल से बड़े बच्चे पेशाब की तकलीफ की शिकायत खुद कर सकते हैं पेशाब के लक्षणों की विस्तृत चर्चा अध्याय-18 में की गई है।
  • कम उम्र के बच्चे पेशाब में होनेवाली तकलीफ की शिकायत नहीं कर सकते हैं। पेशाब करते समय बच्चे का रोना, पेशाब होने में तकलीफ होना अथवा बुखार के लिए पेशाब की जाँच में आकस्मिक रूप से संक्रमण की उपस्थिति का पता चलना, ये मूत्रमार्ग के संक्रमण के संकेत हैं।
  • भूख नहीं लगना, वजन न बढ़ना अथावा गंभीर संक्रमण होने पर तेज बुखार के साथ-साथ पेट का फूल जाना, उल्टी होना, दस्त होना, पीलिया (Jaundice) होना जैसे अन्य लक्षण भी मूत्रमार्ग के संक्रमण के कारण कम उम्र के बच्चों में दिखाई देते हैं।

मूत्रमार्ग के संक्रमण का निदान

 किडनी और मूत्रमार्ग के संक्रमण के निदान के लिए जरूरी जाँचों को मुख्यतः दो भागों में बाँटा जा सकता है:

  • मूत्रमार्ग के संक्रमण का निदान:- पेशाब की सामान्य और कल्चर की जाँच में मवाद (Pus) की उपस्थिति मूत्रमार्ग के संक्रमण का संकेत हैं यह जाँच संक्रमण के निदान और उपचार के लिए महत्वपूर्ण है।
  • मूत्रमार्ग के संक्रमण होने के कारण का निदान:- अन्य जरूरी जाँचों के द्वारा किडनी और मूत्रमार्ग की रचना में दोष, पेशाब के मार्ग में अवरोध और पेशाब उत्सर्ग करने की क्रिया में खामी वगैरह समस्याओं का निदान हो सकता है। ऐसी समस्याएँ मूत्रमार्ग के बार-बार संक्रमण के लिए जिम्मेदार होती हैं। इन समस्याओं के निदान के लिए आवश्यक जाँचों की हमने आगे (देखिए अध्याय – 4 और अध्याय – 18 ) चर्चा की है।

अधिकांश बच्चों में पेशाब के संक्रमण के कारणों का निदान करने के लिए आवश्यक वी. सी. यू. जी. ( VCUG ) जाँच किस प्रकार की जाती है? यह किसलिए महत्वपूर्ण है?

वॉइडिंग सिस्टोयूरेथ्रोग्राम (VCUG ) जिसे पहले मिक्ट्युरेटिंग सिस्टयूरेथ्रोग्राम (MCU) भी कहते थे, बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण नैदानिक एक्सरे टेस्ट है उन बच्चों के लिए जिन्हें पेशाब पथ संक्रमण के साथ रिफलक्स भी है, वी. सी. यू. जी. परीक्षण वेसाईको यूरेटेरिक रिफलक्स और उसकी गंभीरता के निदान के लिए स्वर्ण मानक है। यह मूत्राशय और मूत्रमार्ग की असामान्यताओं का भी पता लगाता है। यह मूत्रमार्ग का संक्रमण के पहले एपिसोड के बाद 2 साल से कम उम्र के हर बच्चे के लिए करना चाहिए। मूत्रमार्ग का संक्रमण होने के बाद वी. सी. यू. जी. करना चाहिए । प्रायः निदान के पहले सप्ताह के बाद इसे करना चाहिए। वॉइडिंग सिस्टोयूरेथ्रोग्राम वी. सी. यू. जी. के रूप में जानी जानेवाली इस जाँच में विशेष प्रकार के आयोडिनयुक्त द्रव को कैथेटर (नली) द्वारा मूत्राशय में भरा जाता है उसके बाद बच्चे को पेशाब करने के लिए कहा जाता है। पेशाब करने की क्रिया के दौरान मूत्राशय और मूत्रनलिका के एक्सरे लिये जाते हैं। इस जाँच द्वारा पेशाब का मूत्राशय में से उल्टी तरफ मूत्रवाहिनी में जाना, मूत्राशय में कोई क्षति होना अथवा मूत्राशय से पेशाब बाहर निकलने के मार्ग में कोई अवरोध होना इत्यादि जानकारियाँ मिलती हैं।

इन्द्रावीनस यूरोग्राफी (आई. वी. पी.) कब और किसलिए की जाती है?

तीन साल से अधिक उम्र के बच्चों में जब बार-बार पेशाब का संक्रमण हो, तब पेट के एक्सरे और सोनोग्राफी जाँच के बाद यदि जरुरी हो, तो यह जाँच की जाती है। इस जाँच के द्वारा पेशाब के संक्रमण के लिये जिम्मेदार किसी जन्मजात क्षति या मूत्रमार्ग में अवरोध के संबंध में जानकारी मिल सकती है।

मूत्रमार्ग में संक्रमण की रोकथाम

  • तरल पदार्थों का ज्यादा सेवन करने से पेशाब पतला होता है । यह बैक्टीरिया को पेशाब पथ से बाहर निकालने में मदद करता है।
  • बच्चों को हर दो से तीन घंटे के अन्तराल में पेशाब त्याग करना चाहिए। पेशाब ज्यादा समय तक मूत्राशय में रखने से बैक्टीरिया को बढ़ने का अवसर प्राप्त होता है।
  • बच्चों के जननांग क्षेत्र को साफ रखें तथा शौचालय के बाद बच्चे को आगे से पीछे न की पीछे से आगे साफ करे । यह आदत बैक्टीरिया को किडनी क्षेत्र से मूत्रमार्ग में फैलने से रोकती है।
  • जननांग क्षेत्र के साथ मल को लम्बे समय तक संपर्क को रोकने के लिए जरुरी है की डायपर को अक्सर बदल देना चाहिए ।
  • हवा परिसंचरण के लिए बच्चों को केवल सूती जांगिया पहनाने चाहिए। चुस्त फिटिंग के पैट और नाइलॉन के अंडरवियर से बचना चाहिए। शैंपू,
  • बच्चों को बुलबुला स्नान (Bubbles Bath) (नहाने के पानी में शॉवर जेल, साबुन आदि से झाग उत्पन्न कर  स्नान ) करने से बचायें।
  • खतनारहित लड़कों में उसके लिंग की चामडी को पीछे कर नियमित रूप से धोना चाहिए।
  • वी. यू. आर. (वेसाईको यूरेटेरिक रिफलक्स) वाले बच्चों में, अपशिष्ट पेशाब न रुके इसके लिए दो या तीन बार पेशाब त्याग की सलाह देनी बच्चों चाहिए।
  • लम्बे समय के लिए एक खुराक एंटीबायोटिक रोज देने की सलाह उन बच्चों को दी जाती है, जिन्हें लम्बे समय के लिए मूत्रमार्ग का संक्रमण होने का खतरा है यह एक निवारक (रोग निरोधी उपाय है।

मूत्रमार्ग के संक्रमण का उपचार

सामान्य सावधानियाँ:

  • बच्चे को दिन में अधिक से अधिक और रात में भी 1 या 2 बार पानी देना चाहिए।
  • कब्ज नहीं होने देना चाहिए। नियमित पाखाना जाने तथा थोड़े – थोड़े समय में पेशाब करने की आदत डालनी चाहिए।
  • पाखाना और पेशाब की जगह के आस पास पूरी तरह सफाई रखनी चाहिये
  • पाखाना करने के बाद ज्यादा पानी से आगे से पीछे के भाग की तरफ सफाई करने से पेशाब के संक्रमण की संभावना मे कमी हो सकती है।
  • बच्चे को सामान्य आहार लेने की छूट दी जाती है।
  • बच्चे को बुखार हो, तो बुखार कम रकने की दवा दी जाती है।
  • पेशाब के संक्रमण का उपचार पूरा होने के बाद पेशाब की जाँच कराकर जाने लेना जरूरी है कि संक्रमण पूरी तरह से ठीक हो गया है या नहीं।
  • पेशाब में संक्रमण दोबारा से नहीं हुआ है, यह जानने के लिए उपचार पूरा होने के सात दिन बाद और बाद में डॉक्टर की सलाह के अनुसार बार-बार पेशाब की जाँच करानी चाहिए। यह अत्यंत जरूरी है।

दवाई द्वारा उपचार

  • पेशाब के संक्रमण के निदान के बाद उस पर नियंत्रण पाने के लिए बच्चे में संक्रमण के लक्षणों, उसकी गंभीरता बौर बच्चे की उम्र को ध्यान में रखते हुए एन्टीबायोटिक्स द्वारा उपचार किया जाता है।
  • इस उपचार को शुरू करने के पहने पेशाब की कल्चर और सेन्सिटिवीटी की जाँच कराना आवश्यक है इसकी रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर द्वारा सर्वश्रेष्ठ दवाई का चुनाव करने से संक्रमण का ज्यादा असरकारक उपचार हो सकता है।
  • अगर बच्चे को तेज बुखार, उलटी, कमर में तेज दर्द हो और मुँह से दवा लेने में असमर्थ हो तो बच्चे को अस्पताल में भर्ती करना चाहिए और उसे नसों में एंटीबायोटिक देनी चाहिए।
  • साधारणतः इस्तेमाल की जानेवाली एन्टीबॉयोटिक्स में एमोक्सिलिन, एमाईनोग्लाईकोसाइड्स, सीफोलोस्पोरीन, नाइट्रोफयूरेन्टोइन, वगैरह का समावेश होता है।
  • इस प्रकार का उपचार सामान्यतः सात से दस दिन तक किया जाता है। संक्रमण के उपचार के साथ संक्रमण होने के कारणों के अनुसार आगे के उपचार का निर्णय लिया जाता है।

मूत्रमार्ग में बार-बार संक्रमण का उपचार

दवाई द्वारा उपचार :

मूत्रमार्ग का संक्रमण वाले कुछ बच्चों को अतिरिक्त परीक्षणों की आवश्यकता होती है। जैसे अल्ट्रासाउंड वी. सी. यु. जी. और कई बार डी. एम. एस. ए. द्वारा स्कैन जिससे अंतर्निहित कारणों की पहचान हो सके। बार-बार होने वाले मूत्रमार्ग का संक्रमण के तीन मुख्य कारण वी. यु. आर. मूत्रनलिका में वाल्व (PUV) और किडनी की पथरी है।

  • जिस मरीज को साल भर में तीन से अधिक बार पेशाब का संक्रमण हो, ऐसे मरीज को विशेष प्रकार की दवाईयाँ कम मात्रा में रात में एक बार लम्बे समय तक (3 महीने तक) लेने की सलाह दी जाती हैं।
  • कितने समय तक इस दवाई को लेना चाहिए यह मरीज की तकलीफ, संक्रमण की मात्रा, संक्रमण होने के कारण इत्यादि को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर द्वारा निश्चित किया जाता है।
  • लम्बे समय तक कम मात्रा में दवा लेने से पेशाब के संक्रमण को बार-बार होने से रोका ता सकता है तथा इस दवा का कोई विपरीत असर भी नहीं होता है।

मूत्रमार्ग के संक्रमण होने के कारणों के विशिष्ट उपचार

इन रोगों का विशिष्ट उपचार किडनी फिजिशियन-नेफ्रोलॉजिस्ट, किडनी सर्जन- यूरोलॉजिस्ट अथवा बच्चों के सर्जन द्वारा तय किया जाता है।

1) पेल्वी यूरेटेरिक जंक्शन ऑब्सट्रक्शन (PUJ-Obsruction) क्या होता है? इस जन्मजात क्षति में क्या होता है?

इस जन्मजात क्षति में किडनी का भाग पेल्विस (जो किडनी के अंदर की तरफ मध्य भाग में होता है और किडनी में बने पेशाब को नीचे की तरफ मूत्रवाहिनी में भेजता है) और मूत्रवाहिनी को जोड़ने वाली जगह सिकुड़ जाने से पेशाब के मार्ग में अवरोध होता है। इस अवरोध के कारण किडनी फूल जाती है और कुछ मरीजों में पेशाब में बार-बार संक्रमण होता है। यदि समय पर उचित उपचार नहीं कराया जाए, तो लम्बे समय (वर्षों बाद फूली हुई किडनी धीरे-धीरे कमजोर होकर फेल हो जाती है।

उपचार :

इस जन्मजात क्षति का इलाज किसी दवा से नहीं हो सकता। इस क्षति के विशिष्ट उपचार में ‘पायलोप्लास्टी’ ऑपरेशन द्वारा पेशाब के मार्ग के अवरोध को दूर किया जाता है।

2) मूत्रनलिका में वाल्व ( Posterior Urethral Valve-PUV) – क्या है ? इस जन्मजात क्षति में क्या होता है?

बच्चों में पाई जानेवाली इस समस्या में मूत्रनलिका में स्थित वाल्व (जो जन्मजात हो सकता है) के कारण मूत्रमार्ग में अवरोध होने से पेशाब करने में तकलीफ होती है। पेशाब करने के लिए जोर लगाना पड़ता है, पेशाब की धार पतली आती है या बूँद-बूँद करके पेशाब निकलती है जन्म के पहने ही महीने में और कभी-कभी गर्भावस्था के आखिरी महीने में की जानेवाली सोनोग्राफी की जाँच में इस रोग के चिन्ह देखने को मिल सकते हैं। पेशाब के मार्ग में अधिक अवरोध होने के कारण मूत्राशय की दीवार मोटी हो जाती है, साथ ही मूत्राशय का आकार भी बढ़ जाता है। मूत्राशय में से पूरी मात्रा में पेशाब नहीं निकलने से यह पेशाब मूत्राशय में भरा रहता है। अधिक पेशाब के संग्रह से मूत्राशय में दबाव बढ़ने लगता है, जिसके विपरीत असर से मूत्रवाहिनी और किडनी भी फूल सकती है। इस स्थिति में यदि उचित उपचार नहीं कराया जाए तो किडनी को धीरे-धीरे गंभीर नुकसान हो सकता है पी. यू. पी. से पीड़ित बच्चों में से लगभग 20% से 30% बच्चों में आगे चलकर एंड स्टेज किडनी डिजीज (ESKD) होने की संभावना रहती है। पी. यू. वी. अर्थात् पेशाब नलिका में वाल्व, शिशुओं और बच्चों में बीमारी और मृत्यु का महत्वपूर्ण कारण है।

उपचार:

इस प्रकार की समस्या में मूत्रनलिका में स्थित वाल्व को ऑपरेशन द्वारा दूर किया जाता है। कुछ बच्चों में पेडू के भाग में चीरा लगाकर मूत्राशय में से पेशाब सीधा बाहर निकले इस प्रकार का ऑपरेशन किया जाता है।

चिकित्सा:

शल्य चिकित्सक (यूरोलॉजिस्ट) और किडनी रोग विशेषज्ञ (नेफ्रोलॉजिस्ट) संयुक्त रूप से पी. यू. वी. के मरीज का इलाज करते हैं। तत्काल आराम व सुधार के लिए मूत्राशय में एक ट्यूब डालते हैं जिससे लगातार पेशाब की निकासी हो सके आमतौर पर मूत्रमार्ग के माध्यम से और कभी-कभी सीधे पेट की दीवार से ट्यूब डालते हैं जिसे सुप्राप्युबिक कैथेटर कहते हैं साथ ही संक्रमण एनीमिया और किडनी की खराबी का इलाज, कुपोषण, तरल और इलेक्ट्रोलाइड की असामान्यताओं जैसे सहायक उपाय मरीज की स्थिति में सुधार में मदद करते हैं। एंडोस्कोप से शल्य चिकित्सा द्वारा वाल्व को हटाना पी. यू. वी. का एक निश्चित उपचार है। पी. यू. वी. से पीड़ित बच्चों को आजीवन, नियमित रूप से नेफ्रोलॉजिस्ट को दिखाना चाहिए क्योंकि इन बच्चों में मूत्रमार्ग का संक्रमण होने का खतरा, विकास की समस्याएं, इलेक्ट्रोलाइड की असामन्यताएं एनीमिया, उच्च रक्तचाप और क्रोनिक किडनी डिजीज होना जैसे खतरे होते है।

3) पथरी

छोटे बच्चों में पाई जानेवाली पथरी की समस्या के उपचार के लिए पथरी का स्थान, आकार, प्रकार आदि सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए आवश्यकतानुसार दूरबीन की मदद से ऑपरेशन द्वारा अथवा लीथोट्रीप्सी के द्वारा उपचार किया जाता है। इस प्रकार दूर की गई पथरी का प्रयोगशाला में पृथ्वकरण करने के बाद दवा और जरूरी सलाह दी जाती है ताकि पथरी दुबारा न बन सके।

4) वी. यू. आर. वसाइको यूरेटेरिक रिफलक्स

वी. यू. आर. बच्चों में पेशाब के संक्रमण, उच्च रक्तचाप और क्रोनिक किडनी फेल्योर होने का सबसे महत्वपूर्ण कारण वसाइको यूरेटेरिक रिफलक्स – वी. यू. आर. (V.U. R. – Vesico Ureteric Reflux) हैं। वी. यू. आर. में जन्मजात क्षति के कारण पेशाब मूत्राशय में से उल्टी तरफ मूत्रवाहिनी की एवं किडनी की तरफ जाता है।

मूत्रमार्ग के संक्रमण के मरीज को डॉक्टर का संपर्क तुरंत कब करना चाहिए?

मूत्रमार्ग के संक्रमण से पीड़ित बच्चों के मामले में डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए अगर

  • लगातार बुखार आये पेशाब के दौरान दर्द या पेशाब में जलन, पेशाब में बदबू या पेशाब में रक्त का जाना।
  • उलटी या मतली जिससे तरल पदार्थ और दवा के सेवन करने में कठिनाई आये।
  • कम तरल पदार्थों का सेवन करने में कठिनाई आये या उलटी के कारण निर्जलीकरण ।
  • पेट के निचले हिस्से में दर्द ।
  • चिड़चिड़ापन, भूख में कमी या बच्चे की बीमारी को बढ़ने से रोकने में असफलता

इस तरह के विषयों के बारे में अधिक जानने के लिए हमसे संपर्क करें: Alfa Kidney Care

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