प्रोस्टेट नामक ग्रंथि केवल पुरुषों के शरीर में ही पाई जाती है। यह ग्रंथि उम्र बढ़ने के साथ आकार में बड़ी हो जाने से पेशाब करने में तकलीफ होती है यह तकलीफ आमतौर पर 60 साल के पश्चात अर्थात् बड़ी उम्र के पुरूषों में ही पाई जाती है। भारत और पूरे विश्व में औसत आयु में हुई वृद्धि के कारण बी. पी. एच. की तकलीफ वाले मरीजों की संख्या में भी वृद्धि हुई है।
प्रोस्टेट ग्रंथि कहाँ होती है?
उसके कार्य क्या हैं? पुरुषों में सुपारी के आकार की प्रोस्टेट मूत्राशय के नीचे (Bladder Neck) वाले भाग में होती है, जो मूत्रनलिका (Urethra) के प्रारंभिक भाग के चारों ओर लिपटी होती है अर्थात मूत्राशय से निकलती मूत्रनलिका का प्रारंभिक भाग प्रोस्टेट के बीच से गुजरता है। वीर्य ले जानेवाली नलिकाएं प्रोस्टेट से गुजरकर मूत्रनलिका में दोनों तरफ खुलती है। इसी वजह से प्रोस्टेट ग्रंथि पुरुषों के प्रजनन तंत्र का एक मुख्य अंग है।
बी. पी. एच. बिनाईन प्रोस्टेटिक हाइपरट्रॉफी क्या है?
- बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरट्रॉफी (Benign Prostratic Hypertrophy) अर्थात् उम्र बढ़ने के साथ सामान्य रूप से पाई जानेवाली प्रोस्टेट के आकार में वृद्धि
- इस बी. पी. एच. की तकलीफ में संक्रमण, कैन्सर अथवा अन्य कारणों से होने वाली प्रोस्टेट की तकलीफ शामिल नहीं होती है।
- बी. पी. एच. (BPH) के लक्षण 50 साल की उम्र के बाद शुरू होते हैं। आधे से ज्यादा पुरुषों को 60 साल की आयु में और 90% पुरुषों में 70-80 साल के होने तक बी. पी. एच. के लक्षण दीखते हैं।
बी. पी. एच. के लक्षण
बी. पी. एच. के लक्षण के कारण पुरूषों में होने वाली मुख्य तकलीफ निम्नलिखित हैं:
- रात को बार-बार पेशाब करने जाना ।
- पेशाब की धार धीमी और पतली हो जाना।
- पेशाब करने के प्रारंभ में थोड़ी देर लगना ।
- रूक-रूककर पेशाब का होना ।
- पेशाब लगने पर जल्दी जाने की तीव्र इच्छा होना किन्तु इस पर नियंत्रण नहीं होना और कभी-कभी कपड़ों में पेशाब हो जाना।
- पैशाब करने के बाद भी बूँद-बूँद पेशाब का आना ।
- पेशाब पूरी तरह से नहीं होना और पूरा पेशाब करने का संतोष नहीं होना ।
- गंभीर बी. पी. एच. अगर अनुपचारित छोड़ दिया जाये तो एक समय के बाद यह गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है।
बी. पी. एच. के कारण होने वाली गंभीर समास्यायें
- पेशाब का एकाएक रूक जाना और केथेटर की मदद से ही पेशाब होना ।
- पेशाब पूर्ण रूप से नहीं होने के कारण मूत्राशय कभी भी संपूर्ण खाली नहीं होता है। इस कारण से पेशाब में बार-बार संक्रमण हो सकता है और संक्रमण पर नियंत्रण करने में चिकित्सक को कठिनाई होती है।
- मूत्रमार्ग में अवरोध बढ़ने से किडनी में से मूत्राशय में पेशाब आने के रास्ते में अवरोध उत्पन्न हो जाता है परिणामस्वरूप मूत्रवाहिनी और किडनी फूल जाती है अगर यह तकलीफ धीरे-धीरे बढ़ती रही तब कुछ समय पश्चात् किडनी फेल्योर जैसी गंभीर समस्या भी हो सकती है।
- मूत्राशय में हमेशा पेशाब इकट्ठा होने से पथरी की संभावना भी रहती है। हो
- याद रहे। बी. पी. एच. के कारण प्रोस्टेट कैंसर का खतरा नहीं सकता है।
क्या 50 से 60 साल की उम्र के बाद प्रत्येक पुरुष को प्रोस्टेट बढ़ने के कारण तकलीफ होती है?
नहीं। ऐसा नहीं है। प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार बढ़ने के बावजूद भी बड़ी उम्र के सभी पुरुषों में बी. पी. एच. के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं जिन | पुरूषों को बी. पी. एच. के कारण मामूली सी तकलीफ होती है, उन्हें इसके लिए किसी उपचार की जरूरत नहीं पड़ती है। सामान्यतः 60 साल से अधिक उम्र के 5 प्रतिशत पुरुषों में ही बी. पी. एच. के उपचार की आवश्यकता होती है।
बी. पी. एच. का निदान
प्रोस्टेट लक्षण स्कोर या सूचकांक [International Prostate Symptom Score (IPSS) अंतर्राष्ट्रीय लक्षण स्कोर या (American Urological Association (AUA)] अमेरिकन यूरोलॉजिकल एसोसिएशन के लक्षण सूचकांक बी. पी. एच. के निदान में मदद करते हैं।
- रोग के लक्षण:- मरीज द्वारा बताई गई तकलीफों में बी. पी. एच. के लक्षण डों, तो प्रोस्टेट की जाँच शल्य चिकित्सक से करवा लेना चाहिए।
- प्रोस्टेट की उंगली द्वारा जाँच:- सर्जन द्वारा यूरोलॉजिस्ट मलमार्ग में उंगली डालकर प्रोस्टेट की जाँच करते हैं (DRE – Digital Rectal Examination) । बी. पी. एच में प्रोस्टेट का आकार बढ़ जाता है और उंगली से की जानेवाली जाँच में प्रोस्टेट चिकना एवं रबर जैसा लचीला लगता है।
- सोनोग्राफी द्वारा जाँच:- बी. पी. एच. के निदान में यह जाँच बहुत उपयोगी है। बी. पी. एच. के कारण प्रोस्टेट के आकार में बढ़ोत्तरी होना, पेशाब करने के बाद मूत्राशय में पेशाब रह जाना, मूत्राशय में पथरी होना अथवा मूत्रवाहिनी और किडनी का फूल जाना जेसे परिवर्तनों की जानकारी सोनोग्राफी से ही मिलती है।
- लेबोरेटरी की जाँच:- इस जाँच के माध्यम से बी. पी. एच. का निदान नहीं हो सकता है। परन्तु बी. पी. एच. में होने वाली तकलीफों के निदान में इससे मदद मिलती है। पेशाब की जाँच, पेशाब संक्रमण के निदान के लिए और खून में क्रिएटिनिन की जाँच, किडनी की कार्यक्षमता के विषय में जानकारी देती है प्रोस्टेट की तकलीफ कहीं प्रोस्टेट के कैन्सर के कारण तो नहीं है यह खून की एक विशेष जाँच (PSA Prostate – Specific Antigen) द्वारा निश्चित किया जाता है।
- अन्य जाँच:- बी. पी. एच. जैसे लक्षण वाले प्रत्येक मरीज को बी. पी. एच. की तकलीफ नहीं होती है। मरीज के इस रोग के पूर्ण निदान के लिए कई बार यूरोलोमेन्ट्री (Uroflowmentry) सिस्टोस्कोपी और यूरेथ्रोग्राम जैसी विशिष्ट जाँच की जाती है।
क्या बी. पी. एच. जैसी तकलीफ वाले मरीजों को प्रोस्टेट के कैन्सर की तकलीफ हो सकती है?
हाँ। परन्तु भारत में बी. पी. एच. जैसी तकलीफ वाले मरीजों में से बहुत कम मरीजों को प्रोस्टेट के कैन्सर की तकलीफ होती है।
प्रोस्टेट के कैन्सर का निदान
- प्रोस्टेट की उंगली द्वारा जाँच:- इस जाँच में (Digital Rectal Examination) में प्रोस्टेट कठोर पत्थर जैसा लगे अथवा गाँठ जैसा अनयिमित लगे, तो यह कैन्सर की निशानी हो सकती है।
- खून में पी. एस. ए. की जाँच:- खून की इस विशेष प्रकार की जाँच में पी. एस. ए. की ज्यादा मात्रा कैन्सर की निशानी है।
- प्रोस्टेट की बायोप्सी:- विशेष प्रकार के सोनोग्राफी प्रोब की मदद से मलमार्ग में सूई डालकर प्रोस्टेट की बायोप्सी ली जाती है जिसकी हिस्टोपैथोलॉजी की जाँच कैन्सर से प्रोस्टेट के होने की पूर्ण जानकारी मिलती है।
बी. पी. एच. का उपचार
बी. पी. एच. का उपचार निम्नलिखित कारणों से प्रभावित होते हैं:
- लक्षणों की गंभीरता
- किस हद तक ये लक्षण दैनिक जीवन को प्रभावित करते हैं
- उससे जुडी किस प्रकार की चिकित्सा उपलब्ध है।
बी. पी. एच. के उपचार को मुख्यतः तीन भागों में बाँटा जा सकता है।
1. सतर्क रहना, इंतजार करना और जीवन शैली में परिवर्तन
करना (कोई इलाज नहीं) बिना किसी इलाज के “रुको और देखो” । पुरुषों के लिए यह पसंदीदा तरीका है विशेषकर जिन्हें बी. पी. एच. के हल्के लक्षण होते हैं या ऐसे लक्षण जो उन्हें किसी प्रकार की तकलीफ नहीं देते हैं। पर इसका यह तात्पर्य नहीं है की इंतजार करें और बी. पी. एच. के लक्षणों को कम करने के लिए कुछ भी न करें। ऐसे सावधानीपूर्ण इंतजार की अवस्था में व्यक्ति को अपनी जीवन शैली में परिवर्तन लाना चाहिए जिससे बी. पी. एच. के लक्षण कम हो जायें। यह देखने के लिए नियमित रूप से जाँच करानी चाहिए की लक्षणों में कोई सुधार हो रहा है या यह बदतर हो रहे हैं।
- पेशाब की आदतों में और पेय पदार्थ की मात्रा में साधारण परिवर्तन करें ।
- मूत्राशय नियमित रूप से खाली करें। ज्यादा समय तक पेशाब को रोक कर न रखें। तीव्र इच्छा होते ही पेशाब त्याग करें।
- डबल वाइड का अर्थ है पेशाब को दो बार लगातार पारित करना । पहले सामान्य रूप से एवं आराम से मूत्राशय खाली करें। फिर कुछ पल इंतजार करने के बाद पुनः पेशाब करने का प्रयास करें।
- कैफीन युक्त पेय पदार्थ और शराब पीने से बचें दोनों ही मूत्राशय की मांसपेशियों की ताकत को प्रभावित करते हैं। दोनों ही किडनी को पेशाब उत्पादन करने के लिए उत्तेजित/प्रोत्साहित करते हैं। ये रात के समय पेशाब करने के लिए अग्रणी कारक हैं।
- तरल पदार्थ के अत्यधिक सेवन से बचें। (एक दिन में ३ लीटर तरल पदार्थ से कम) एक बार में ही ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थ लेने के बजाय दिन भर में रुक रुककर तरल पदार्थों का सेवन करें।
- ठंड और जुकाम की दवाओं को ज्यादा न लें क्योंकि इनमें एंटीहिस्टेमाइस या डीकंजेस्टेन्ट होता है जो मूत्रमार्ग में रूकावट पैदा कर सकते है और बीमारी के लक्षण में वृद्धि भी कर सकते हैं।
- नियमित रूप से कसरत करें और स्वयं को स्वस्थ रखें। ठंडा मौसम और शारीरिक श्रम के आभाव से बीमारी बढ़ सकती है।
- श्रोणि (Pelvis) मजबूत बनाने के व्यायाम सीखें और करें क्योंकि यह पेशाब के रिसाव को रोकने के लिए उपयोगी है। श्रोणि (पैल्विक ) कसरत, पैल्विक की मांसपेशियों को मजबूत करता है, मूत्राशय को सहारा देता है और स्फिंक्टर को बंद करने में मदद करता है। इस कसरत से पैल्विक मांसपेशियों को बार-बार सिकोड़ने और ढीला करने की प्रक्रिया होती है।
- मूत्राशय प्रशिक्षण, समय और पेशाब निकासी पर केंद्रित होता है। नियमित समय पर पेशाब करने की कोशिश की जानी चाहिए ।
- कब्ज का उपचार।
- तनाव को कम रखना
2. दवा द्वारा उपचार
- जब बी. पी. एच. के कारण पेशाब में तकलीफ ज्यादा न हो और कोई गंभीर समस्या न हो, ऐसे अधिकांश मरीजों का उपचार दवा द्वारा आसानी से एवं असरकारक रूप से किया जाता है।
- इस प्रकार की दवाओं में आल्फा ब्लॉकर्स (प्रजोसीन, टेराजोसिन, डोक्साजोसिन, टेम्पूलोसिन इत्यादि) और फिनास्टेराइड तथा ड्यूरेस्टेराइड इत्यादि दवाई होती है।
- दवा के उपचार से मूत्रमार्ग का अवरोध कम होने लगता है और पेशाब सरलता से बिना किसी तकलीफ के होती है।
3.शल्य चिकित्सा
यह उपचार भी दो भागों में बाँटा जा सकता है।
चीरे द्वारा शल्य चिकित्सा और न्यूनतम इनवेसिव उपचार प्रोस्टेट के लिए सबसे आम और मानक शल्य चिकित्सा पध्दति है, दूरबीन द्वारा प्रोस्टेट का ट्रांसयूरेथ्रल विभाजन (TURP) । वर्तमान में इसके कई नये तरीके विकसित हो रहे हैं जिससे छोटे से मध्यम आकर की प्रोस्टेट ग्रंथि को शल्य प्रक्रिया द्वारा उपचार कर सकें। इसका मुख्य उद्देश्य टी. यु. आर. पी. की तुलना में कम लागत और रुगणता से बेहतर परिणाम प्राप्त करना है।
1. दूरबीन द्वारा उपचार टी. यू. आर. पी. (T.U.R.P.- Trans Urethral Resection of Prostate)
बी. पी. एच. के उपचार के लिए यह सरल असरकारक और सबसे ज्यादा प्रचलित पद्धति है। वर्तमान समय में दवा के उपचार से विशेष लाभ न होने वाले अधिकांश (95 प्रतिशत से ज्यादा) मरीजों के प्रोस्टेट की गाँठ इस पद्धति द्वारा दूर की जाती है।
- इस पद्धति में ऑपरेशन, चीरा लगाने या टांका लगाने की कोई जरूरत नहीं पड़ती है ।
- यह उपचार मरीज को सामान्यतः बिना बेहोश किये, रीढ़ में इंजेक्शन (Spinal Anesthesia) देकर कमर के नीचे का भाग सुन्न करके किया जाता है।
- इस क्रिया में पेशाब के रास्ते (मूत्रनलिका) से दूरबीन (Endoscope) डालकर प्रोस्टेट की गाँठ का अवरोध उत्पन्न करनेवाला भाग खुरचकर निकाल दिया जाता है।
- यह प्रक्रिया दूरबीन अथवा विडियो एन्डोस्कोपी द्वारा लगातार देखते हुए की जाती है ताकि प्रोस्टेट का अवरोध उत्पन्न करने वाला भाग उचित मात्रा में निकाला जा सके तथा इस दौरान निकलने वाले खून पर सावधानीपूर्वक नियंत्रण किया जा सके।
- इस ऑपरेशन के बाद मरीज को साधारणतौर पर तीन से चार दिन अस्पताल में रहना पड़ता है।
2. ऑपरेशन द्वारा उपचार (Open Surgery )
जब प्रोस्टेट की गाँठ बहुत बड़ी हो गई हो या साथ ही मूत्राशय की पथरी का ऑपरेशन करना भी जरूरी हो, तब यूरोलॉजिस्ट के अनुभव के अनुसार यह उपचार दूरबीन की मदद से असरकारक रूप से नहीं हो सकता है। ऐसे कुछ मरीजों में ऑपरेशन की पद्धति का उपयोग किया जाता है। इस ऑपरेशन में सामान्यतः पेडू के भाग और मूत्राशय को चीरकर प्रोस्टेट की गाँठ बाहर निकाल दी जाती है।
3. उपचार की अन्य पद्धतियाँ
बी. पी. एच. के उपचार में कम प्रचलित अन्य पद्धतियाँ निम्नलिखित हैं :
- दूरबीन की मदद से प्रोस्टेट पर चीरा लगाकर मूत्रमार्ग की रूकावट कम करना (TUIP Transurethral Incision of Prostate )
- लेजर द्वारा उपचार (Transurethral Laser Prostatectomy)
- उष्मा (Thermal Ablation) द्वारा उपचार
- मूत्रमार्ग मे विशेष नली (Urethral Stenting) द्वारा उपचार।
बी. पी. एच. के मरीज को डॉक्टर का संपर्क तुरंतं कब करना चाहिए?
बी. पी. एच. के मरीज को डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए यदि
- पेशाब करने में अवरोध या पेशाब पूरी तरह बंद हो जाये।
- पेशाब में रक्त का जाना ।
- पेशाब करते समय जलन या दर्द महसूस करना, बदबूदार पेशाब होना या ठंड के साथ बुखार आना ।
- पेशाब पर नियंत्रण न कर पाना जिसके फलस्वरूप नीचे पहनने के
- कपड़ों का गिला होना या बिस्तर में पेशाब हो जाना।