Alfa Kidney Care
Alfa Kidney Care Alfa Kidney Care

Akhbar Nagar, Ahmedabad, Gujarat 380081, India

Mon – Sat : - 10:30 PM - 7:00 PM

Sun : - Closed

Alfa Kidney Care Alfa Kidney Care
  • Home
  • About Us
  • Dr. Ravi Bhadania
  • Services
    • Chronic Kidney Disease Treatment
    • Kidney Biopsy
    • Dialysis & Care
    • Kidney Friendly Diet
    • Kidney Stones
    • Urinary Tract Infection
    • Kidney Transplantation
    • Immunosuppressive Therapy
    • Know Your Kidney
    • Optimized Management
    • Counselling Regarding
    • Precise Diagnosis and Treatment
  • Procedure
  • Media Gallery
  • Our Blogs
  • Contact Us
  • Make an Appointment
Make an Appointment

Blog

  1. Alfa Kidney Care
  2. Blogs
  3. बच्चों का रात में बिस्तर गीला होना – कारण, और उपाय
Children wetting the bed at night

बच्चों का रात में बिस्तर गीला होना – कारण, और उपाय

March 20, 2024 by Dr. Ravi Bhadania

बच्चा जब छोटा हो, तब रात में उसका बिस्तर गीला हो जाना स्वाभाविक है । परन्तु बच्चे की उम्र बढ़ने के बाद भी रात्रि में बिस्तर गीला हो जाए, तो वह बच्चे और उसके माता-पिता के लिए संकोच एवं चिन्ता विषय हो जाता है। सौभाग्य से अधिकांश बच्चों में यह समस्या ( रात में बिस्तर गीला होने की ) किडनी के किसी रोग के कारण नहीं होती है।

कितने प्रतिशत बच्चे बिस्तर गीला करने की बीमारी से पीड़ित होते हैं और सामान्य रूप से यह किस उम्र में बंद हो जाता है?

  • 6 साल से कम उम्र के बच्चों में बिस्तर गीला करना स्वाभाविक होता है।
  • 5 साल तक की उम्र के बच्चों में बिस्तर गीला करना 15-20 प्रतिशत होता है। उम्र के साथ बिस्तर गीला करने के प्रतिशत में एक अनुपातिक कमी आती है जैसे 10 साल तक 5 प्रतिशत, 15 साल पर 2 प्रतिशत और वयस्क होने पर 1 प्रतिशत ।

यह समस्या बच्चों में कब ज्यादा देखी जाती है?

  • जिस बच्चे के माता-पिता को उनके बचपन में यह तकलीफ रही हो ।
  • लड़कियों की तुलना में लड़कों में यह समस्या तीन गुनी ज्यादा देखी जाती है।
  • वे बच्चे जिनका मानसिक विकास देरी से होता है, उनमें पूर्ण भरे हुए मूत्राशय को पहचानने की क्षमता कम होती है।
  • गहरी नींद सोनेवाले बच्चों में यह समस्या ज्यादा दिखाई देती है।
  • मानसिक तनाव के कारण यह समस्या शुरू होती या बढ़ती हुई दिखाई देती है।

रात में बिस्तर गीला करने वाले बच्चों का कब और कौनसा परीक्षण और जाँच करवाना चाहिए?

जब चिकित्सक को संरचनात्मक समस्याओं का संदेह हो तब जाँच केवल चयनित बच्चों पर करनी चाहिए प्रायः सबसे ज्यादा किये जाने वाले परीक्षण है, पेशाब और रक्त में ग्लूकोज की जाँच, रीढ़ की हड्डी का एक्सरे, अल्ट्रासाउंड परीक्षण, किडनी या मूत्राशय के अन्य इमेजिंग परीक्षण आदि ।

रात में बिस्तर गीला हो जाना कब गंभीर माना जाता है?

  • दिन में भी बिस्तर गीला हो जाना।
  • मलत्याग (पाखाना) पर नियंत्रण न होना ।
  • दिन में बार-बार पेशाब करने के लिए जाना ।
  • पेशाब में बार-बार संक्रमण होना ।
  • पेशाब की धार पतली होना या पेशाब बूंद-बूंद कर होना ।

उपचार :

यह तकलीफ कोई रोग नहीं है और न ही बच्चा जानबूझकर बिस्तर गीला करता है। इसलिए बच्चे को डराना-धमकाना एवं उस पर चीखना – चिल्लाना छोड़कर, इस समस्या के उपचार का प्रारंभ सहानुभूतिपूर्वक किया जाता है।

1. समझाना और प्रोत्साहित करना

बच्चे को इस विषय में उचित  जानकारी देना अत्यंत आवश्यक है। रात को अनजाने में ही बिस्तर बीला हो जाना कोई चिंताजनक समस्या नहीं है और यह जरूर ठीक हो जाएगा इस प्रकार बच्चे को समझाने से मानसिक तनाव कम होता है और इस समस्या को शीघ्र ही करने में सहायता मिलती है। इस समस्या की चर्चा कर बच्चे को डराना धमकाना या बुरा भला नहीं कहना चाहिए जिस रात बच्चो बिस्तर गीला न करे, उस सदिन बच्चे के प्रयास की प्रशंसा करना तथा इसके लिए कोई छोटा-मोटा उपहार देना समस्या का समाधान करने में प्रोत्साहन देता है।

2. प्रवाही लेने और पेशाब जाने की आदत में परिवर्तन

बिस्तर गीला करने की समस्या के निवारण के लिए प्रारंभिक उपचार में शिक्षा एवं प्रेरक चिकित्सा शामिल हैं। अगर बिस्तर गीला करने की आदत में कोई बदलाव नहीं होता है तो एलार्म सिस्टम और दवाओं द्वारा इलाज की कोशिश की जा सकती हैं।

  • शाम 6 बजे के बाद प्रवाही कम मात्रा में लेना और कैफीनवाले पेय (चाय, कॉफी इत्यादि) शाम के बाद नहीं लेना चाहिये ।
  • रात को सोने से पहले हमेशा पेशाब करने की आदत डालनी चाहिए।
  • इसके अलावा रात में बच्चे को उठाकर दो से तीन बार पेशाब कराने से वह बिस्तर गीला नहीं करता है।
  • बच्चे को ‘डाइपर पहनाने से रात में बिस्तर गीला होने से बचाया जा सकता है।
  • रात में शौचालय जाने के लिए प्रकाश की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
  • बिस्तर के पास एक जोड़ी पैजामा, चादर और छोटा टॉवेल रखना चाहिए जिससे बच्चा रात को अपनी चादर और गीले कपड़े सरलता से बदल सके अगर बिस्तर गीला करने के कारण उसकी नींद खुल जाये।
  • गद्दे के ऊपर एक प्लास्टिक का कवर रखें जिससे गद्दे को खराब होने से बचाया जा सकता है।
  • अतिरिक्त अवशोषण के लिए एक बड़ा तौलिया बिस्तर के नीचे रखें।
  • बच्चे को प्रतिदिन सुबह नहाने के लिए प्रोत्साहित करें जिससे पेशाब की बदबू नहीं आये।

3. मूत्राशय का प्रशिक्षण

  • बहुत से बच्चों के मूत्राशय में कम मात्रा में पेशाब रह सकता है। ऐसे बच्चों को थोड़े-थोड़े समय के अंतर पर पेशाब करने जाना पड़ता है और रात में बिस्तर गीला हो जाता है।
  • ऐसे बच्चों को दिन में पेशाब लगने पर उसे रोके रखना, पेशाब करते समय थोड़ा पेशाब करने के बाद उसे रोक लेना वगैरह मूत्राशय के कसरत की सलाह दी जाती है। इस प्रकार की कसरत से मूत्राशय मजबूत होता है और उसमें पेशाब रखने की क्षमता बनती है और पेशाब पर नियंत्रण बढ़ता है।

4. एलार्म सिस्टम

पेशाब होने पर नीकर गीला हो तभी उसके साथ जोड़ी गई घंटी टनटना उठे, ऐसा एलार्म सिस्टिम विकसित देशों में उपलब्ध है। इससे पेशाब होते ही एलार्म सिस्टम की चेतावनी से बच्चा पेशाब रोक लेता है । इस प्रकार के प्रशिक्षण से समस्या का शीघ्र हल हो सकता है। इस प्रकार के उपकरण का उपयोग सामान्यतः सात साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए किया जाता है।

5. दवाई द्वारा उपचार

बिस्तर गीला करने से रोकने के लिए दवाओं का इस्तेमाल एक अंतिम प्रयास है। इनका उपयोग सात साल और उसके ऊपर के बच्चों के लिए होता है। हालांकि ये दवाइयाँ असरदार होती हैं पर यह बिस्तर गीला करने से रोकने का स्थायी उपाय नहीं है। ये एक अल्पकालीन उपाय प्रदान करते हैं और इसका उपयोग अस्थायी तोर पर किया जाता है। जब दवाइयाँ बंद हो जाती हैं तब बिस्तर गीला करना पुनः शुरू हो जाता है। स्थायी तोर पर बिस्तर गीला करने से रोकने के लिए अलार्म सिस्टम, दवाओं की अपेक्षा ज्यादा प्रभावशाली होता है। रात को बिस्तर गीला होने की समस्या के लिए इस्तेमाल की जानेवाली दवाईयों में मुख्यतः इमिप्रेमिन और डेस्मोप्रेसिन का समावेश होता है। इन दवाईयों का उपयोग ऊपर की गई चर्चानुसार उपचार के साथ ही किया जाता है। इमिप्रेमिन नामक दवा का प्रयोग सात साल से ज्यादा उम्र वाले बच्चों में ही किया जाता है यह दवा मूत्राशय के स्नायुओं को शिथिल बना देती है, जिससे मूत्राशय में ज्यादा पेशाब रह सकता है। इसके उपरांत यह दवा पेशाब ने उतरने देने के लिए जिम्मेदार स्नायुओं को संकुचित कर पेशाब होने से रोकती है यह दवा डॉक्टरों की निगरानी में तीन से छः महीने के लिए दी जाती है। डेस्मोप्रेसिन (DDAVP) के नाम से जाने जानेवाली यह दवा स्प्रे तथा गोली के रूप में बाजार में उपलब्ध है। इसका प्रयोग करने से रात में पेशाब कम मात्रा में बनता है। जिन बच्चों में रात में ज्यादा मात्रा में पेशाब बनता है, उनके लिए यह दवा बहुत ही उपयोगी है। यह दवा रात में बिस्तर गीला होने से रोकने की एक अचूक दवा है, परन्तु बहुत महँगी होने के कारण प्रत्येक बच्चे के माता-पिता इसका खर्च वहन नहीं कर सकते हैं।

बिस्तर गीला करने की समस्या है उन बच्चों को डॉक्टर का संपर्क तुरंत कब करना चाहिए?

बच्चो जिन्हें बिस्तर गीला करने की समस्या है उन्हें डॉक्टर से तुरंत संपर्क स्थापित करना चाहिए अगर:

बच्चा दिन में भी बिस्तर गीला करता है ।

  • सात या आठ साल की उम्र के बाद भी बच्चा बिस्तर गीला कर देता है।
  • छः महीने के शुष्क अवधि (जिसमें बिस्तर गीला न हो) के बाद फिर से बिस्तर गीला करना शुरू हो जाये।
  • मल पारित करने में कम नियंत्रण हो ।
  • चेहरे और शरीर पर सूजन, असामान्य प्यास लगना, बुखार, दर्द के अलावा पेशाब में जलन और जल्दी-जल्दी पेशाब लगना ।
  • पेशाब की पतली धारा हो और पेशाब करते वक्त जोर लगाना पड़ता हो ।

इस तरह के विषयों के बारे में अधिक जानने के लिए हमसे संपर्क करें: Alfa Kidney Care

Tags: Bedwetting in HindiChildren bedwettingChildren's urinary issuesNighttime bedwetting
  • Share
  • Tweet
  • Linkedin

Post navigation

Previous
Previous post:

किडनी फेल्योर के मरीजों का आहार

Next
Next post:

प्रोस्टेट की तकलीफ: बी. पी. एच.

Related Posts
Difference between Pyelonephritis and Glomerulonephritis
Difference between Pyelonephritis and Glomerulonephritis
December 9, 2025 by Dr. Ravi Bhadania

Kidney problems can appear suddenly or develop silently over time, and two common conditions that often confuse patients are pyelonephritis...

Inherited Kidney Diseases: Understanding Genetic Kidney Disorders and Their Impact
Inherited Kidney Diseases: Understanding Genetic Kidney Disorders and Their Impact
August 23, 2024 by Dr. Ravi Bhadania

Kidneys are vital organs responsible for filtering waste and excess fluids from the blood, regulating blood pressure, and maintaining overall...

Leave a Comment Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Add Comment *

Name *

Email *

Website

Categories
  • Blogs (150)
  • Uncategorized (1)
Popular Posts
  • Difference between pyelonephritis and glomerulonephriti
    Difference between Pyelonephritis and Glomerulonephritis

    December 9, 2025

  • Renal Concretion Types and Treatment
    Renal Concretion Types and Treatment

    December 5, 2025

  • RIRS Surgery Procedure for Kidney Stones
    Understanding the RIRS Surgery Procedure for Kidney Stones

    November 27, 2025

Alfa Kidney care

Alfa Kidney Care is one of the leading kidney specialty and nephrology hospitals in Ahmedabad.

Our Location

707-710, Centrum Heights, Akhbarnagar Circle, Nava Vadaj, Ahmedabad, Gujarat 380013, India

E: rpbhadania@gmail.com

+91 94849 93617

Opening Hours

Mon - Sat - 10:30 PM - 7:00 PM

Sun - Closed

Emergency Cases
+91 94849 93617

© 2023 Alfa Kidney Care. All Rights Reserved